नईदिल्ली : कावेरी नदी के पानी को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में इन दिनों विवाद गहराया हुआ है। इस विवाद के बीच अब कांग्रेस में फूट नजर आ रही है। दरअसल कर्नाटक कांग्रेस कावेरी जल अधिकरण का आदेश मानने से इनकार कर रही है, वहीं कांग्रेस नेता चिदंबरम का मानना है कि आयोग का फैसला मानना चाहिए। पी चिदंबरम ने कहा है कि इस विवाद पर फैसला करने के लिए आयोग है और दोनों राज्यों को इस आयोग के फैसले के मुताबिक काम करना चाहिए।
चिदंबरम ने कहा कि ‘मैं तमिलनाडु से संसद का सदस्य हूं तो मैं तमिलनाडु की तरफ से मांग कर सकता हूं और उसी तरह कर्नाटक के सांसद वहां की तरफ से मांग कर सकते हैं लेकिन इस मुद्दे पर फैसला लेने के लिए आयोग है और दोनों राज्यों को आयोग के फैसले को मानना चाहिए।’
तमिलनाडु और कर्नाटक में क्यों हो रहा विवाद
बता दें कि कावेरी जल बंटवारे को लेकर इन दिनों दोनों राज्यों में तनाव बना हुआ है। कावेरी जल प्रबंधन अधिकरण ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि 28 सितंबर से 15 अक्तूबर 2023 तक कावेरी नदी का 3 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाए। पहले यह 5 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया गया था। कर्नाटक का कहना है कि इस साल मानसून के अच्छा ना रहने के कारण उसके कई इलाके सूखाग्रस्त हैं। ऐसे में कर्नाटक ने तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने से मना कर दिया है। तमिलनाडु सरकार, कर्नाटक सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगा रही है। कर्नाटक सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन अधिकरण के सामने पुनर्विचार याचिका दायर की है और सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है।
पुराना है दोनों राज्यों के बीच पानी का विवाद
कर्नाटक के किसान कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के फैसले का विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर कर्नाटक में बंद का आयोजन भी किया जा चुका है। वहीं तमिलनाडु के मदुरै में नाम तमिलर काची पार्टी भी विरोध प्रदर्शन कर रही है और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की आलोचना कर रही है।
बता दें कि कावेरी एक अंतरराज्यीय बेसिन है, जिसका उद्गम स्थल कर्नाटक है। यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी से होकर गुजरती है। इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में पुराना विवाद है। इस विवाद के निपटारे के लिए ही 2 जून 1990 कावेरी जल विवाद अधिकरण की स्थापना की गई थी।