छत्तीसगढ़

संतान पैदा करने के लिए उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी को मिली पैरोल, केरल हाई कोर्ट ने इस मामले पर क्या कुछ कहा?

कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने एक आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक कैदी को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन इलाज के लिए 15 दिनों की पैरोल की अनुमति दी है। केरल हाई कोर्ट में कैदी की पत्नी ने पैरोल को लिए याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति पी वी कुन्हिकृष्णन ने दंपति की सहायता करते हुए कहा कि जब एक पत्नी इस तरह के अनुरोध के साथ अदालत में आती है, तो वह तकनीकी पहलुओं पर इसे नजरअंदाज नहीं कर सकती।

कैदी को अन्य नागरिक की तरह सभ्य जीवन जीने के अधिकार: कोर्ट

कोर्ट ने आगे कहा “आपराधिक मामले में सजा काट रहा व्यक्ति जब जेल से बाहर जाए  तो उसके साथ अलग व्यक्ति जैसा व्यवहार न हो। उसे किसी भी अन्य नागरिक की तरह एक सभ्य जीवन जीने का पूरा अधिकार है।”  न्यायमूर्ति पी वी कुन्हिकृष्णन  ने कहा कि मेरे विचार से याचिकाकर्ता के पति को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी संतान पैदा करने के लिए 15 दिनों का पैरोल दिया जाए।

पति का चल रहा इलाज: याचिकाकर्ता

अदालत के समक्ष अपनी याचिका में महिला ने कहा था कि 2012 में उनकी शादी के बाद से उनकी कोई संतान नहीं है और बच्चा पैदा करना उनका सपना है। उन्होंने अदालत को यह भी बताया था कि वह और उनके पति चिकित्सा की विभिन्न शाखाओं के तहत इलाज करा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

महिला ने अपनी याचिका में यह भी कहा था कि दंपति का मुवत्तुपुझा के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था और डॉक्टर ने उन्हें आईवीएफ/आईसीएसआई (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन/इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) प्रक्रिया से गुजरने का सुझाव दिया। उसने अदालत को बताया था कि इलाज के लिए यह जरूरी है कि उसका पति तीन महीने तक उसके साथ मौजूद रहे।

अभियोजन पक्ष ने यह दावा करते हुए याचिका का विरोध किया था कि वह व्यक्ति वर्तमान में छुट्टी के लिए पात्र नहीं है।  याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पति का सपना अपने रिश्ते में एक बच्चे को देखना है। वे उस संबंध में इलाज जारी रख रहे हैं और इलाज पूरा करने के लिए याचिकाकर्ता के पति की उपस्थिति आवश्यक है।”

कोर्ट ने जेल के महानिदेशक को पैरोल देने के दिए आदेश

कोर्ट ने  जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक को निर्देश दिया कि कैदी को 15 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर जाने की अनुमति दी जाए। दंपति को राहत देते हुए अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि तत्काल आदेश को सभी मामलों में एक मिसाल के रूप में लेने की जरूरत नहीं है। बता दें कि गणित में स्नातकोत्तर और शिक्षक के रूप में कार्यरत 31 वर्षीय महिला का पति वर्तमान में विय्यूर में केंद्रीय कारागार और सुधार सेवाओं में बंद है।