छत्तीसगढ़

एंटनी ब्लिंकन ने कहा- आतंकवाद के सभी कृत्य गैरकानूनी और अनुचित, चाहे वो मुंबई में हों या इस्राइल में

नईदिल्ली : इस्राइल और हमास के बीच युद्ध जारी है, जिसमें 6500 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस बीच अमेरिका ने हमास हमले को मुंबई हमले के समान बताया है। अमेरिका का कहना है कि आंतकवाद के सभी काम गैरकानूनी और अनुचित ही होते हैं। सुरक्षा परिषद के सदस्यों को इसकी निंदा करनी चाहिए।

खुद की रक्षा करने का अधिकार
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मंगलवार को सुरक्षा परिषद की मंत्रीस्तरीय बैठक में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मध्य पूर्व की स्थिति पर अपना पक्ष रखा। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र को खुद की रक्षा करने का अधिकार है और हमें इसकी पुष्टि करनी चाहिए। हम अपने लोगों के वध को बर्दाश्त नहीं कर सकते। ब्लिंकन ने हमास हमलों और मुंबई हमले के बीच समानता बताई। 

ब्लिंकन ने आगे कहा कि सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पुष्टि की कि आतंकवाद के सभी काम गैर कानूनी और अनुचित हैं फिर चाहे वह नैरोबी हो, बाली हो, इस्तांबुल हो, मुंबई हो, न्यूयॉर्क हो या किबुत्ज बेरी। लोगों को निशाना बनाना गलत है। हमला चाहे आईएसआईएस करें या फिर बोको हरम, लश्कर-ए-तैयबा या हमास। यह गैरकानूनी है। परिषद का दायित्व है कि हम हमास या ऐसे किसी भी आतंकवादी समूह को हथियार, फंड और प्रशिक्षण देने वाले सदस्य देशों की निंदा करें।

मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत
ब्लिंकन ने बताया कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के 10 आंतकियों ने मुंबई में 60 घंटों तक हमले किए। उन्होंने लोगों की जान ली। मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई। इसी तरह हमास ने भी इस्राइल पर हमला कर दिया। 1400 से अधिक निर्दोषों की जान ले ली। हमास ने लोगों को बंधक बना लिया, उनके साथ अत्याचार रहा है। मृतकों में 30 से अधिक नागरिक संयुक्त राष्ट्र देशों के हैं।

मध्य-पूर्व की स्थिति खराब 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मध्य पूर्व में स्थिति समय के साथ-साथ और गंभीर होती जा रही है। गाजा में युद्ध उग्र है और पूरे क्षेत्र में जोखिम बढ़ रहा है। तनाव बढ़ रहा है। हालांकि, 56 वर्षों से फलस्तीन के लोग घुट कर जी रहे हैं। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। उनके घर तबाह हो गए हैं। लेकिन फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतें हमास के भयावह हमलों को उचित नहीं ठहरा सकती हैं।