छत्तीसगढ़

इजरायल- हमास वॉर : सामूहिक कब्रें, लावारिस लाशें… जंग ने गाजा से अंतिम संस्कार का हक भी छीन लिया

दीर अल-बलाह (गाजा पट्टी)। उमर दिरावी कहते हैं, यह सही से अलविदा कहने की न तो सही जगह थी और न ही समय… इस धूल भरे मैदान में कंबल में लिपटे और बॉडी बैग में बंद मरे हुए लोग बिखरे हुए थे। क्योंकि जंग के तीसरे सप्ताह में चारों ओर इजरायली हवाई हमले हुए, जिससे उनके आस-पास की जगह तबाह हो गई और सैकड़ों परिवार और दोस्त काल की गाल में समा गए…

अक्टूबर के इस अक्टूबर हफ्ते में गाजा के केंद्रीय शहर जवैदेह में 22 वर्षीय फिलिस्तीनी फोटो पत्रकार ने अपने परिवार के 32 सदस्यों को दफनाया, जो पिछले रविवार को इजरायली हवाई हमलों में मारे गए थे। गाजा शहर से दिरावी की चाची, चाचा और चचेरे भाइयों ने पलायन कर दक्षिण के अपने घर में शरण ली थी।

कुछ दिनों बाद दिरावी एक ट्रक से उनके शवों को उतार रहे थे, सिंडर ब्लॉकों से अलग की गई एक संकीर्ण खाई खोद रहे थे और रात होने से पहले जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार की रीति निभा रहे थे, क्योंकि रात में इजरायली युद्धक विमान बम बरसाते हैं तो लोग इधर-उधर भागने को मजबूर हो जाते हैं, जिसको जहां पनाह मिलती है वो वहीं छिप जाता है… कुछ अपने घरों में दुबक जाते हैं। 

दिरावी ने इस तरह लोगों के सामूहिक दफन किए जाने के बारे में कहा कि, इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो सही लगे। मैंने शोक भी नहीं किया है, मेरे पास कोई विकल्प नहीं था… कब्रिस्तान भरा हुआ था और दफन करने के लिए कोई जगह नहीं थी।

फलस्तीनियों का कहना है कि यह युद्ध न केवल उनके प्रियजनों को बल्कि अंतिम संस्कार के हक को भी छीन रहा है। इजरायली हमलों में इतने सारे लोग इतनी तेजी से मारे गए हैं कि उनकी लाशों से अस्पताल और मुर्दाघर भर गए हैं। इन हालातों में सम्मानजनक परम्परा से अंतिम विदाई देना लगभग नामुमकिन हो गया है।

बमबारी ने फलस्तीनियों से सबकुछ पहले ही छीन लिया था उस पर शनिवार को फोन और इंटरनेट सेवाएं भी बंद हो गईं। जिसने उनका अपनों और बाकी दुनिया के साथ संपर्क भी टूट गया। गाजा के लोगों का कहना है कि वो एम्बुलेंस को कॉल नहीं कर सकते हैं या यह पता नहीं लगा सकते हैं कि विभिन्न इमारतों में रहने वाले प्रियजन अभी भी जीवित हैं या नहीं।

7,700 से अधिक फलस्तीनी मारे गए।गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 7 अक्टूबर से इजरायली सेना के हमले में अब तक 7,700 से अधिक फलस्तीनी मारे गए। मृतकों में से लगभग 300 की पहचान नहीं हो पाई है। हर दिन की तरह शनिवार का दिन भी भय और दहशत में गुजरा क्योंकि इजरायल ने अपनी जमीनी गतिविधि बढ़ा दी और बमबारी तेज कर दी।