प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को मथुरा, वृंदावन कॉरिडोर मामले में सुनवाई जारी रही। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने सुनवाई करते हुए दिया है। इसके पहले सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की। इस मामले की सुनवाई कई दिनों से लगातार चल रही है।
बता दें कि तीर्थनगरी मथुरा के वृंदावन में कॉरिडोर बनाने के मामले की सुनवाई मंगलवार को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई थी। सुनवाई के दौरान सेवायतों ने सरकार के सामने एक शर्त रख दी। हालांकि सरकार की तरफ से भी इस शर्त का तत्काल जवाब दिया गया। इससे सरकार के विजन पर संशय की स्थिति नहीं रह गई है।
वृंदावन में कॉरिडोर बनाए जाने का स्थानीय सेवायत शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। मंगलवार को मामले की सुनवाई हुई तो उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका मिला। सेवायतों ने कहा कि सरकार हमें जमीन दे दे, हम मंदिर बना लेंगे। इसी नए मंदिर में श्रीबांके बिहारी जी को स्थापित कर लेंगे।
सेवायतों के इस बयान से कुछ समय के लिए तो लगा कि बात फंसेगी। लेकिन, सरकार का विजन साफ है। सरकार की तरफ से इस पर आपत्ति उठाई गई। साफ शब्दों में कहा गया कि किसी भी हालत में मंदिर को शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। यानी सरकार ने इस प्रस्ताव को मना कर दिया। अब अगली सुनवाई में अन्य बिंदुओं के साथ बात आगे बढ़ेगी।
ज्ञात हो कि वृंदावन में कॉरिडोर बनाने का सेवायत लगातार विरोध कर रहे हैं। कुछ समय पहले उन्होंने बाजार बंद करके प्रदर्शन किया। इसके बाद हाथ में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि कॉरिडोर बन जाने से उनका रोजगार प्रभावित होगा। इससे उनके परिवार को आर्थिक संकट से जूझना पड़ेगा। मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।