कोच्चि। केंद्र सरकार ने केरल हाई कोर्ट को बताया कि एयरलाइंस कंपनियों द्वारा ही हवाई यात्रा का किराया तय किया जाता है। एयरलाइंस का किराया तय करना सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं।
केंद्र ने केरल हाई कोर्ट को शुक्रवार को बताया कि एयरलाइंस कंपनियां ही अपनी परिचालन लागत के अनुसार ही हवाई किराया तय करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। एयरलाइंस कंपनियों के इस फैसले में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है और न ही विमान किराया तय करती है।
एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि एयरलाइंस की तरफ से किराया तय करना एक वैश्विक प्रथा है, जो प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण, आपूर्ति, मांग और अन्य दूसरी चीजों पर आधारित है। इसलिए हवाई किराया वसूलने के एयरलाइन कंपनियां पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। सरकार न तो एयरलाइन के वाणिज्यिक पहलुओं में हस्तक्षेप करती है और न ही उनके द्वारा हवाई किराया तय करने में हस्तक्षेप करती है।
बता दें कि त्योहारी सीजन में एयरलाइंस कंपनियों की तरफ से किराये में बढ़ोत्तरी की गई है। इस संबंध में जैनुआबिदीन ने केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने केरल हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष रखा।
केंद्र सरकार ने कहा कि गतिशील मूल्य निर्धारण यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि एयरलाइंस प्रति उड़ान अपने राजस्व में कैसे सुधार करती है। सरकार के अनुसार, जो यात्री यात्रा की तारीख के करीब बुकिंग करते हैं, उन्हें कम किराया नहीं मिल सकता है, क्योंकि इन कम किराए के लिए निर्धारित सूची पहले ही बुक की जा चुकी होती है।