नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाई कोर्ट की जज नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट कलेजियम के फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि केवल वकील के रूप में किसी के विचारों के आधार पर उसकी आलोचना नहीं की जानी चाहिए। विक्टोरिया गौरी मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के समक्ष केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करती थीं।
भाजपा से जुड़े होने के आरोपों के बाद जज के रूप में उनकी नियुक्ति विवादों में घिर गई थी। हाई कोर्ट बार के कुछ बार सदस्यों ने सीजेआइ को पत्र लिखकर गौरी को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि विक्टोरिया गौरी ने ईसाइयों और मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए थे।
एक कार्यक्रम को सीजेआइ ने किया संबोधित
हार्वर्ड ला स्कूल सेंटर में कानूनी पेशे पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआइ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने उनके कथित भाषण की प्रकृति को बहुत ध्यान से देखा और केंद्र सहित सभी पक्षकारों के साथ इस पर विचार-विमर्श किया गया। सीजेआइ ने कहा, हमने इसे बहुत ध्यान से देखा। न्यायाधीश द्वारा कथित तौर पर दिए गए भाषण की प्रकृति को बहुत ध्यान से देखा गया। इसको लेकर एक प्रक्रिया है कि हम हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मंगाते हैं और फिर वह रिपोर्ट सरकार के साथ साझा की जाती है।