नईदिल्ली : कुछ दिन पहले ही कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था. ट्रूडो के इस आरोप ने दोनों देशों के राजनयिक रिश्ते को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था. हालांकि कनाडा की तरफ से इस आरोप को साबित करने के लिए कोई भी सबूत पेश नहीं किया गया.
इस घटना के बाद अमेरिकी अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने भी सूत्रों के हवाले से दावा किया था कि अमेरिका ने अपने देश की जमीन पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश को नाकाम किया है. फाइनेंशियल टाइम्स के इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने इस साजिश में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया है.
हालांकि, यह मामला कब का है रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा अब तक अमेरिका की तरफ से भी इस रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की गई है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर गुरपतवंत सिंह पन्नू कौन है जिसके हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप अमेरिका भारत पर लगा रहा है. इसके अलावा एक सवाल ये भी उठता है कि क्या इस आरोप से भारत और अमेरिका के रिश्ते खराब हो जाएंगे.
कहां से हुई पूरे मामले की शुरुआत
दरअसल इस पूरे मामले की शुरुआत ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट से हुई है, जिसमें कहा गया कि अमेरिका में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची गई थी, लेकिन अमेरिका ने इस साजिश को नाकाम कर दिया.
वहीं, पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के कथित आरोपी के खिलाफ न्यूयॉर्क डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सीलबंद केस भी दायर किया गया है. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट इसी मुद्दे पर चर्चा कर रही है कि इस सीलबंद केस को निज्जर की हत्या की जांच पूरी होने के बाद खोला जाए या अभी ही खोल दिया जाए.
फाइनेंशियल टाइम्स के रिपोर्ट की मानें तो इस पूरे मामले को लेकर अमेरिका ने भारत को डिप्लोमैटिक वॉर्निंग भी दी थी.
निज्जर की हत्या के बाद मामला सामने आया
फाइनेंशियल टाइम्स के इसी रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के कुछ सहयोगियों ने जून के महीने में मारे गए सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पन्नू की हत्या की साजिश की जानकारी दी थी. वहीं जून महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वॉशिंगटन पहुंचे थे उस वक्त अमेरिका ने इसका विरोध भी किया था.
पन्नू ने इस हमले पर क्या कहा
फाइनेंशियल टाइम्स से भी बातचीत की है. गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ये तो नहीं बताया कि अमेरिकी प्रशासन ने उसकी हत्या की साजिश में भारत के शामिल होने को लेकर कोई जानकारी दी है या नहीं, लेकिन उसने कहा कि मैं चाहूंगा कि अमेरिकी जमीन पर मेरी हत्या की साजिश पर अमेरिकी सरकार ही जवाब दे.
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कहा कि अगर अमेरिकी धरती पर मुझे मारने की कोशिश की जाती है तो एक अमेरिकी नागरिक होने के नाते भी मेरी जिंदगी पर खतरा होना अमेरिका की संप्रभुता के लिए एक चुनौती है. उन्होंने आगे कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि बाइडेन प्रशासन ऐसी किसी भी चुनौती से निपट सकती है.
अब जानते हैं कि आखिर ये गुरपतवंत सिंह पन्नू है कौन
गुरपतवंत सिंह पन्नू मूल रूप से अमृतसर के पास खानकोट गांव का है. उसकी उम्र 40 से 50 साल के बीच है और उसके पिता का नाम महिंदर सिंह है. पन्नू के पिता पंजाब स्टेट एग्रीकल्चर बोर्ड में कर्मचारी भी रह चुके हैं.
गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तान समर्थक अमेरिकी वकील है. उसने साल 1990 में पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की और वर्तमान में अमेरिका में वकील हैं. पन्नू को हमेशा ही कनाडा में खालिस्तान समर्थक कार्यक्रमों और प्रदर्शनों में देखा जाता है. उसे न्यूयॉर्क से चलने वाले खालिस्तान समर्थक संगठन सिख्स फ़ॉर जस्टिस के संस्थापक और नेता के तौर पर भी जाना जाता है.
इस रिपोर्ट पर भारत ने क्या कहा
फाइनेंशियल टाइम्स के इस रिपोर्ट के बाद कई सारे सवाल उठने लगे जिसे देखते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बयान में कहा कि, “भारत और अमेरिका ने कुछ दिन पहले ही एक दूसरे देशों के बीच रक्षा सहयोग पर हुई वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, अवैध बंदूकों के कारोबारियों, आतंकवादियों और अन्य को लेकर हमारे साथ कुछ जानकारियां साझा की थीं.”
“इस तरह की जानकारियां दोनों ही देशों के लिए चिंता का विषय है और अब भारत सरकार ने फैसला लिया है कि इस पर जरूरी कदम उठाए जाएंगे.” बागची आगे कहते हैं, “हमारे देश ने अपने लेवल पर इन जानकारियों को गंभीरता से लिया है, क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को भी चोट पहुंचाती हैं. अमेरिका की ओर से दी गई जानकारियों पर पहले ही सम्बंधित विभाग जांच कर रहे हैं.”
क्या इस रिपोर्ट से भारत-अमेरिका के रिश्तों पर पड़ेगा असर?
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये उठने लगे हैं कि क्या कनाडा के तरह ही अब भारत और अमेरिका के रिश्तों बिगड़ जाएंगे. क्योंकि, ठीक ऐसा ही आरोप जब कनाडा ने भारत के ऊपर लगाया था तब भारत कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए जबरदस्त पलटवार किया था. भारत द्वारा दिए गए बयानों के कारण ही कनाडा और भारत के रिश्ते अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.
हालांकि भारत ने जिस तरह की प्रतिक्रिया कनाडा के आरोप पर दिया था अमेरिका की ओर से आरोप लगने की खबरों पर भारत का रुख वैसा नजर नहीं आ रहा है. कनाडा और अमेरिका के आरोपों में फर्क ये है कि अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर इस तरह का आरोप नहीं लगाया गया है.
भले ही अमेरिका ने निज्जर की हत्या को लेकर भारत को जांच में सहयोग करने के लिए कहा था, लेकिन इस पूरे मामले में अमेरिका ने खुलकर भारत की आलोचना भी नहीं की थी. इसके अलावा फिलहाल कई मायनों में अमेरिका को भी भारत की जरूरत है.
दरअसल पिछले कुछ सालों में दरअसल भारत और अमेरिका के रिश्तों के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी काफी ज्यादा बढ़ी है. भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया उस क्वॉड समूह का भी हिस्सा हैं, जो चीन के दबदबे को चुनौती देने के लिए करीबी रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए बना है.
इसी महीने नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के बीच पांचवीं वार्षिक टू प्लस टू मंत्री स्तर की बैठक हुई है, जिसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया था. इस बैठक के दौरान कई अहम फैसले हुए हैं, जिन्हें दोनों देशों के आपसी रिश्तों के लिए बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है.
हालांकि अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार अविनाश पालीवाल ने इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है, “फाइनेंशियल टाइम्स के इस रिपोर्ट का दोनों देशों के रिश्ते पर गहरा असर होने वाला है. भारत ने अमेरिकी ज़मीन पर गोपनीय ढंग से एक आक्रामक अभियान चलाया है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ या फिर, कम से कम पहले कभी सामने नहीं आया.”