नईदिल्ली : सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोप के मामले में एथिक्स कमेटी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश करने वाली रिपोर्ट सोमवार (4 दिसंबर) को लोकसभा में पेश करेगी. इसी दिन यानी चार दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है और 22 दिसंबर को समाप्त होगा.
बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति (एथिक्स कमेटी) ने मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की थी. समिति के छह सदस्यों ने निष्कासित करने वाली रिपोर्ट का समर्थन किया था तो वहीं चार ने इसका विरोध किया था. इस रिपोर्ट को दस नवंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भेजा गया था.
कमेटी के सामने इस दौरान मोइत्रा भी पेश हुईं थी. उन्होंने और समिति में शामिल अन्य विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि उनसे निजी सवाल किए गए हैं. इसको खारिज करते हुए विनोद कुमार सोनकर ने कहा था कि ऐसा नहीं है.
क्या दावा किया था?
हाल ही में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल करने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे गिफ्ट लिए हैं. इसके बाद दुबे ने इसको लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से शिकायत कर कार्रवाई की मांग थी. फिर बिरला ने मामला एथिक्स कमेटी को सौंप दिया था. दुबे के आरोप पर दर्शन हीरानंदानी का साइन किया हुआ एफिडेविट सामने आया था. इसमें उन्होंने कहा कि हां, मोइत्रा को पैसे और गिफ्ट दिए हैं. मोइत्रा ने अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में सवाल संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि खराब करने के लिए किए हैं.
महुआ मोइत्रा आरोप पर क्या कहती रही हैं?
महुआ मोइत्रा निशिकांत दुबे के आरोप को खारिज करते हुए कहती रही हैं कि उन्हें अडानी ग्रुप के मामले पर चुप कराने के लिए निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला करते हुए कहा था कि ये लोग मुझे चुप कराने चाहते हैं.
बता दें कि साल 2005 में रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में कई सांसदों को राज्यसभा की आचार समिति की सिफारिश के बाद निष्कासित कर दिया गया था.