नई दिल्ली। चुनावों में हार के बाद कुछ राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर उठाए जाने वाले सवालों से आजिज आ चुका चुनाव आयोग अब इसके खिलाफ की जाने वाली किसी भी तरह की ऊलजलूल और झूठी बातों पर चुप नहीं बैठेगा। ऐसे झूठे आरोपों को चुनाव प्रक्रिया के प्रति लोगों के भरोसे को कमजोर करने की पहल करार देते हुए आयोग अब ऐसे लोगों से निपटने की तैयारी में है।
आयोग अब ऐसे आरोप पर राजनीतिक दल या और संबंधित लोगों से आरोपों से संबंधित प्रमाण मांगेगा, जिसमें फेल होने पर तय नियमों के तहत कार्रवाई भी होगी। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों को लेकर विपक्षी दलों की ओर से फिर से ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा जाने लगा है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई नेता ऐसे आरोप लगा रहे हैं।
इससे पहले आयोग ने इसी तरह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर भी लगाए गए आरोपों पर आयोग ने सख्ती दिखाई थी। साथ ही नोटिस जारी कर उन्हें अपने आरोपों से जुड़े प्रमाण पेश करने को कहा था। जिसे वह पेश नहीं कर पाए थे। इसके बाद आयोग ने उन्हें चेतावनी भी जारी की थी। साथ ही भविष्य में ऐसे आरोपों से बचने की सलाह भी दी थी।
आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें तो राजनीतिक दलों की ओर से ईवीएम को लेकर इस तरह के सवाल तब उठाए जा रहे है, जब अब तक देश में ईवीएम के जरिए अलग-अलग राज्यों के 140 से ज्यादा विधानसभा चुनाव कराए जा चुके है। इनमें से करीब 33 चुनावों में अब तक कांग्रेस जीती है, जबकि करीब 29 चुनाव भाजपा ने जीते है।
इसके साथ ही अलग-अलग राज्यों में टीएमसी, बीजेडी, आरडेडी, जेडीयू, जेएमएम, सीपीआई(एम), एआईडीएमके और डीएमके जैसे दलों ने जीत दर्ज कर अपनी सरकारें भी बनाई है। इसके साथ ही 2004 से 2019 तक चार आम चुनाव भी ईवीएम से हो चुके है, जिसमें अब तक दो चुनाव कांग्रेस जीती है और दो भाजपा जीती है।
गौरतलब है कि ईवीएम को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लंबी लड़ाई चली। इस दौरान कोर्ट ने पूर्णरूप से आश्वस्त होने और इनमें वीवीपैट जैसे बदलावों के निर्देश साथ ही इसके व्यापक प्रयोग को मंजूरी दी थी। हाल ही में ईवीएम से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई थी।
ईवीएम को हैक करने की आयोग ने दी थी चुनौती
ईवीएम को हैक करने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कुछ साल पहले राजनीतिक दलों को इसे हैक करने की चुनौती भी दी थी। आयोग ने इसके लिए ईवीएम पर संदेह जताते वाले दलों को इसके इसके लिए आमंत्रित भी किया था। इस दौरान कोई भी दल सामने नहीं आया था।