नईदिल्ली : हिंदुओं को किस तरह का मीट खाना चाहिए, इस बारे में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान पर विवाद गहराता जा रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की चर्चित नेता और राज्यसभा सांसद महुआ मांझी ने भी इस पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि कौन क्या खाएगा, यह बताने वाले गिरिराज सिंह कोई नहीं होते हैं.
दिल्ली में जेएममम सांसद महुआ ने कहा, “कौन क्या खायेगा, नहीं खायेगा यह बताने वाले गिरीराज सिंह कौन होते हैं? चुनाव के समय इस तरह की बातें आएंगी. मुझे अजीब लगता है कि गिरीराज सिंह इस तरह की बात क्यों कर रहे है?”
क्या है मामला?
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने रविवार (17 दिसंबर) को कहा कि हिंदुओं को हलाल मांस खाना छोड़ देना चाहिए. उन्हें सिर्फ और सिर्फ झटके वाला मीट खाना चाहिए. झटके वाले मांस में जानवर का वध एक ही झटके में कर दिया जाता है. उन्होंने समर्थकों से कहा कि वे इस बात की प्रतिज्ञा लें कि वे अब से हलाल मांस खाकर अपना धर्म भ्रष्ट नहीं करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं उन सभी मुस्लिमों की तारीफ करता हूं, जिन्होंने तय किया हुआ है कि वे सिर्फ हलाल मांस ही खाएंगे. अब हिंदुओं को भी अपनी धार्मिक परंपराओं के प्रति इसी तरह की प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए.
.जानवरों का वध करने का हिन्दू तरीका क्या है…’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जानवरों को वध करने का हिंदू तरीका झटका है. जब भी हिंदू जानवर की बलि देते हैं तो वे एक ही झटके में उनका वध कर ऐसा करते हैं. इसलिए उन्हें हलाल मांस खाकर खुद को भ्रष्ट नहीं करना चाहिए. उन्हें हमेशा झटका मांस ही खाना चाहिए. गिरिराज सिंह ने ऐसे बूचड़खाने स्थापित करने की जरूरत बताई, जहां जानवरों का वध झटके के जरिए हो और केवल झटका मांस बेचने वाली दुकानें हों.
उनके इस बयान पर विपक्ष ने हल्ला बोला है. खास बात ये है कि गिरिराज सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सूबे में मांस के खुले में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे समय में गिरिराज सिंह के बयान पर हंगामा बरपा है.
कौन हैं महुआ मांझी
आपको बता दें कि डॉ महुआ मांझी JMM की राज्य सभा सांसद हैं. वह हिन्दी की बड़ी साहित्यकारों में से एक हैं और समाजसेवा के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है. हेमंत सोरेन के परिवार की करीबी मानी जाती हैं और जेएमएम महिला मोर्चा की अध्यक्ष रही हैं. महुआ मांझी झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के तौर पर उन्हें राज्यभर की महिलाओं से जुड़ने का मौका मिला, जिसके जरिए उन्होंने महिलाओं के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाई.