नईदिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में क्लासिफाइड किया है लेकिन कहा है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा नहीं है. JN.1 को पहले इसके मूल वंश BA.2.86 के एक हिस्से के रूप में वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर वर्गीकृत किया गया था.
डब्ल्यूएचओ ने कहा, ”मौजूदा साक्ष्यों के आधार पर जेएन.1 से उत्पन्न अतिरिक्त वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को वर्तमान में कम माना गया है.” डबल्यूएचओ ने कहा कि मौजूदा टीके जेएन.1 और कोविड-19 वायरस के अन्य सर्कुलेटिंग वैरिएंट्स से होनी वाली गंभीर बीमारी और मृत्यु से रक्षा करते हैं.
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सदस्य देशों से मजबूत निगरानी और सीक्वेंस शेयरिंग जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा था कि वायरस बदल रहा है और विकसित हो रहा है.
‘डब्ल्यूएचओ की सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह का पालन करें’
वहीं, WHO ने X पर एक पोस्ट में कहा था, ”डॉ. मारिया वान केरखोव (अमेरिकी महामारी विशेषज्ञ) ने श्वसन संबंधी बीमारियों कोविड-19 और जेएन.1 सब-वैरिएंट में मौजूदा उछाल के बारे में बात की है. डब्ल्यूएचओ स्थिति का आकलन करना जारी रखता है. इस छुट्टियों के मौसम में अपने परिवार और दोस्तों को सुरक्षित रखने के लिए डब्ल्यूएचओ की सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह का पालन करें.”
भारत में सामने आ चुका है जेएम.1 का मामला
बता दें कि 8 दिसंबर को भारत में भी जेएन.1 वैरिएंट का पहला मामला सामने आया था. केरल में एक 79 वर्षीय महिला इससे संक्रमित हुई थी. इस मामले के सामने आने पर केरल समेत पड़ोसी राज्य अलर्ट हो गए थे. वहीं, सोमवार (18 दिसंबर) को केंद्र सरकार ने कोरोना की स्थिति पर निगरानी रखने और अलर्ट रहने से संबंधित सलाह राज्यों के लिए जारी की थी. केंद्र ने राज्यों को सलाह दी है कि वे आरटी-पीसीआर समेत पर्याप्त टेस्ट सुनिश्चित किए जाएं और पॉजिटिव नमूने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए INSACOG प्रयोगशालाओं में भेजे जाएं.