नईदिल्ली : वर्ष 1974 में भारत सरकार के फैसले का पीएम मोदी ने जिक्र करते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया। कच्चातिवु द्वीप को पीएम के बड़ा दावे के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है। उन्होंने स्थिति को समझाते हुए कहा कि जिन परिस्थितियों और संदर्भों में कच्चातिवु द्वीप को लेकर तत्कालीन सरकार ने फैसले लिए उन्हें अब नजरअंदाज कर कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है।
कच्चातिवु द्वीप मामले में कांग्रेस पर लग रहे आरोपों की क्रोनोलॉजी समझाते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि 2015 में मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें 17,161 एकड़ भारतीय क्षेत्र छोड़ दिया गया, जबकि सिर्फ 7,110 एकड़ प्राप्त मिला। मतलब भारत का भूमि क्षेत्र 10,051 एकड़ कम हो गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की तहत इस तरह के आरोप लगाने के बजाय कांग्रेस ने संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक का समर्थन किया था।
उन्होंने कहा, “इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, जिन परिस्थितियों और संदर्भों में ये फैसले लिए गए, उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है और ये सिर्फ कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने के लिए हो रहा है। 1974 में ही कच्चातिवु श्रीलंका का हिस्सा बन गया था, जब सिरिमा भंडारनायके-इंदिरा गांधी की मौजूदगी में दोनों देशों को बीच समझौता हुआ। इस समझौते के बाद ही श्रीलंका से 6 लाख तमिल लोगों को भारत वापस लाने की अनुमति दी थी। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के इस फैसले के बाद 6 लाख लोगों के मानवाधिकार और सम्मान सुरक्षा की गई।”