छत्तीसगढ़

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की धमकी के सवाल पर अमेरिकी राजदूत से नहीं देते बना जवाब, भारत को देने लगे ज्ञान

वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका के बीच खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश को लेकर तनाव बरकरार है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने स्वीकार किया है कि भारत और अमेरिका पन्नू की कथित हत्या की साजिश मामले की जांच में मिलकर काम कर रहे हैं। गार्सेटी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच “लाल रेखा” को पार नहीं किया जाना चाहिए। खालिस्तानियों के विरोध प्रदर्शन और पन्नू की धमकियों पर सवालों का जवाब देते हुए एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी प्रणाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हर हाल में रक्षा करती है और वह बेहतर या बदतर कुछ भी हो सकता है।

गुरपतवंत सिंह पन्नू एक भारत का एक वांछित आतंकवादी है जिसके पास अमेरिकी और कनाडाई नागरिकता है। वह कई बार भारत के खिलाफ धमकियां दे चुका है। अमेरिकी राजदूत का यह इंटरव्यू जो बाइडन प्रशासन के यह कहे जाने के बाद आया है कि अमेरिका, अमेरिकी धरती पर खालिस्तानी आतंकवादियों को मारने की साजिश के पीछे के लोगों को जिम्मेदार ठहराने के लिए भारत सरकार के साथ काम कर रहा है।

अमेरिका ने निखिल गुप्ता पर लगाया आरोप

अमेरिका ने पिछले साल एक भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि निखिल गुप्ता एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम कर रहा था और न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले पन्नू को मारने के लिए एक हत्यारे को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर देने पर सहमत हुआ था। आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।

गार्सेटी ने कहा, “लोगों को इसमें फर्क करना चाहिए कि किसी ने किसी चीज को बम से उड़ाने की बात कही है या फिर ये कहा है कि किसी को फ्लाइट नहीं पकड़नी चाहिए। अमेरिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहता है, अगर कोई आपराधिक आरोप वास्तव में उस सीमा तक पहुंचता है जिसका सफल परिणाम होता है तो हम सहायता के लिए तैयार हैं। हमारे कानून के तहत, किसी अमेरिकी नागरिक को अमेरिकी अदालत में दोषी ठहराए जाने या किसी अन्य देश में आपराधिक मामले के लिए निर्वासित किए जाने के लिए, इसे हमारे कानून के अनुरूप होना होगा।

गार्सेटी ने भारत को लाल लाइन पार न करने की धमकी दी

पिछले साल गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकी दी थी कि 19 नवंबर को एयर इंडिया को उड़ान भरने नहीं दिया जाएगा। इसके बाद, उन्होंने 13 दिसंबर को संसद हमले की बरसी पर भारतीय संसद पर हमले की भी धमकी दी। हालांकि, अमेरिकी राजदूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि “लाल रेखा” को पार नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी देश का कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी विदेशी नागरिक की हत्या की साजिश में शामिल नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह बिल्कुल महत्वपूर्ण है। हममें से किसी के लिए, संक्षेप में, वह एक लाल रेखा होनी चाहिए। कोई भी सरकार या सरकारी कर्मचारी आपके ही किसी नागरिक की कथित हत्या में शामिल नहीं हो सकता। गार्सेटी ने कहा, यह सिर्फ एक अस्वीकार्य लाल रेखा है।”

भारतीय दूतावास पर हमले की जांच पर यह कहा

गार्सेटी ने कहा, “कोई भी देश, जिसकी सरकार का कोई सक्रिय सदस्य किसी दूसरे देश में अपने किसी नागरिक की हत्या करने की कोशिश में शामिल हो। मुझे लगता है कि यह आम तौर पर किसी भी देश के लिए एक खतरे की रेखा है। यह संप्रभुता का एक बुनियादी मुद्दा है। यह अधिकारों का एक बुनियादी मुद्दा है।” पिछले साल सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी राजदूत ने कहा कि हमले की जांच के लिए जबरदस्त संसाधन और बहुत समय लगाया गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा।