रायपुर : छत्तीसगढ़ का नवगठित जिला मानपुर मोहला अंबेडकर चौकी के ग्राम कलवर से आदिवासी नेता सूरजू टेकाम की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुरजू टेकाम की गिरफ्तारी को लेकर आदिवासी समाज और गांव वालों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि सुरजू टेकाम को फंसाया जा रहा है। पुलिस ने ही विस्फोटक सामान प्लांट करके देर रात सूरजू टेकाम की गिरफ्तारी की है। यदि सूरजु टेकाम की रिहाई नहीं होती है तो पूरा गांव लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेगा।
बीते सोमवार की रात करीब 1 बजे पुलिस दलबल के साथ मानपुर ब्लॉक के ग्राम कलवर पहुंची, जहां से सुरजू टेकाम को गिरफ्तार किया। पुलिस का आरोप है कि सूरजू टेकाम के पास से विस्फोटक सामान, नक्सली साहित्य जैसी तमाम संदिग्ध चीजें बरामद की गई हैं। इस मामले में सुरजू टेकाम के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने ही वह संदिग्ध बैग उनके घर में रखा और उसकी बरामदगी की गई। गांव वालों का आरोप है कि आदिवासी नेता सुरजू टेकाम को षड्यंत्र के तहत फसाया जा रहा है।
टेकाम की बेटी ने पुलिस पर लगाया गंभीर आरोप
सूरजू टेकाम की बेटी दुर्गावती टेकाम ने बताया कि 500 की संख्या में पुलिस अपने गांव को घेर लिया था और घर की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान ग्राम पटेल को भी बुलाया गया था। पुलिसकर्मी तीन बैग लेकर आए थे, जिनमें अलग-अलग नाम लिखा हुआ था। इस दौरान मैं पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी थी, तभी एक पुलिसकर्मी ने मेरा बाल खींचा और एक बैग घर में रख दिया। उस बैग में बैटरी, डेटोनेटर और नक्सलवादी पॉल्म्प्लेट था। आरोप है कि चेकिंग के दौरान सूरजू टेकाम की पत्नी और अन्य महिलाओं से मारपीट भी की गई है।
लोकसभा चुनाव का करेंगे बहिष्कार
इस संबंध में गांव के सरपंच श्रीराम तुलावी ने बताया कि सुरजू टेकाम की गिरफ्तारी गलत तरीके से की गई है। पुलिस ने खुद बैग रखकर उसे बरामद किया, जिस पर गोली बारूद और डेटोनेटर होने की बात कही जा रही है। यह गलत किया जा रहा है। यदि सुरजू टेकाम की रिहाई नहीं होगी तो हम लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
मतदान सबका अधिकार है
इस संबंध में मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी कलेक्टर एस जयवर्धन ने कहा कि अभी तक हमें चुनाव बहिष्कार की कोई सूचना नहीं मिली है। ऐसी सूचना मिलने पर हम वहां गतिविधियां चलाएंगे और उन्हें समझाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। मताधिकार सबका अधिकार है, यह बात समझने का प्रयास जिला प्रशासन करेगा।
सूरजू टेकाम आदिवासियों के नेता
बता दें कि सुरजू टेकाम लगातार आदिवासियों की आवाज उठाने का काम करते रहते हैं, जिसे लेकर प्रशासन में एक असंतोष देखने को मिलता है। ऐसे में गांव वाले उसे अपना मसीहा मानते हैं, तो प्रशासन उसे माओवादी की नजर से देखता है। अब देखना होगा कि ग्रामीणों का आक्रोश शांत करने और लोकसभा चुनाव में सफलतापूर्वक मतदान कराने के लिए पुलिस और प्रशासन आगे क्या कदम उठाते हैं।