धमतरी। सरगुजा के जीराफूल व नगरी के दुबराज चावल के बाद अब नगरी के ही पिरपोटी टमाटर को राज्य की तीसरी फसल के रूप में नई दिल्ली से कृषक पौधा किस्म के लिए पंजीयन किया है। इसे जल्द ही जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस) मिलने की संभावना है, जो धमतरी जिला के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। क्योंकि यह चाव का टमाटर है और स्वाद भी चटपटा है।
पिरपोटी टमाटर की फसल विलुप्त होने के कगार पर है, लेकिन इस टमाटर के फसल को नगरी ब्लाक के गुहाननाला के किसान बंशीलाल सोरी आज भी सहेजकर रखा है, उनके बाड़ी में साल के छह माह उत्पादन होता है। यह टमाटर पूरे प्रदेश में चाव का टमाटर है और स्वाद भी काफी चटपटा है, जो दिखाई देते ही जी ललचा जाता है। लोग बाजार में दिखते ही इसे खरीद लेते हैं, क्योंकि इसके चटनी के सामने सभी चटनियों का स्वाद फेल है।
प्रदर्शनी में पड़ी कृषि वैज्ञानिकों की नजर
ऐसे पिरपोटी टमाटर के विलुप्त उत्पादन को बंशी लाल सोरी ने कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित प्रदर्शनी में लगाया था, जो कृषि वैज्ञानिक व अधिकारियों को भा गया। इस टमाटर की पूरी जानकारी लेकर शासन को भेजा गया था, इसके आधार पर नई दिल्ली द्वारा किसान बंशीलाल सोरी के नाम पर पौधा किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार अधिनियम 2001 के उपबंधों को ध्यान में रखते हुए वह उक्त पौधा किस्म के अधिकार का हकदार है।
आठ जनवरी 2024 को पंजीकरण पर मुहर लगाई गई है। पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के तहत नई दिल्ली के द्वारा पंजीयन किया गया है। जल्द ही इसे जीआई टैग मिलने की संभावना है। पौध किस्म संरक्षण के तहत धमतरी जिले में प्राकृतिक रूप से मिलने वाला छोटे आकार का यह देशी पिरपोटी टमाटर है।
बाड़ी में लगाते हैं पौधे
अपने बाड़ी में पिरपोटी टमाटर लगाने वाले किसान बंशीलाल सोरी ने बताया कि उनके घर के बाड़ी में बचपन से ही दो से तीन डिसमिल में इसकी खेती करते हैं। पहले उनके माता-पिता करते थे, अब वह स्वयं इसे सहेजकर हर साल उगाते हैं। बाड़ी में चार से पांच पेड़ लगाते हैं, जो पूरी तरह से आर्गेनिक है। जुलाई में बीज छिड़कते हैं, तैयार होकर जनवरी-फरवरी से फल देना शुरू करता है और मार्च-अप्रैल तक फल देता है। 99 प्रतिशत बीज सुरक्षित रहता है, जमीन में कहीं भी उग जाता है। छत में भी यह टमाटर लगाया जाता है।
चटनी और सब्जी के लिए उपयोग
फार्मिंग टमाटर के स्वाद से काफी बेहतर होता है। इसे चटनी और सब्जी के लिए उपयोग करते हैं, इस टमाटर के स्वाद के लिए दूसरा कोई अन्य टमाटर नहीं है। इस टमाटर के किस्म का पंजीयन होने के बाद आसपास के किसानों व लोगों को इस टमाटर की खेती के लिए प्रेरित करेंगे, ताकि यह टमाटर सालोंसाल सुरक्षित रहे। एक बार बाड़ी में इस टमाटर के लगने के बाद लोगों को बाजार से हाईब्रिड टमाटर खरीदने की जरूरत न पड़े। लोगों के रुपये बचेंगे साथ ही उन्हें सब्जी में चटपटा स्वाद मिलेंगे।
औषधी गुणों का भी पर्याय
कृषि विभाग धमतरी के एफएल पटेल उप परियोजना संचालक धमतरी ने बताया कि नगरी के पिरपोटी टमाटर को पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के तहत नई दिल्ली के द्वारा पंजीयन किया गया है, जो जिले के लिए गर्व की बात है। जल्द ही पिरपोटी टमाटर को जीआई टैग मिलने की संभावना है। इससे वनांचल क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है। पिरपोटी टमाटर अपने न केवल खट्टा स्वाद के लिए बल्कि कई पोषक एवं औषधी गुणों का भी पर्याय है।