छत्तीसगढ़

आप अदालत की खिल्ली नहीं उड़ा सकते, आईएमए अध्यक्ष की बिना शर्त माफी को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष की बिना शर्त माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उनसे कई कड़े सवाल भी पूछे। दरअसल, हाल ही में आईएमए अध्यक्ष आर वी अशोकन ने पंतजलि आयुर्वेद वाले मामले में एक साक्षात्कार के दौरान सर्वोच्च अदालत को लेकर गंभीर टिप्पणी की थी।

आप अदालत की खिल्ली नहीं उड़ा सकते
न्यायमूर्मित हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अशोकन से कहा कि आप सोफे पर बैठकर प्रेस को साक्षात्कार देते हुए अदालत की खिल्ली नहीं उड़ा सकते। अदालत ने साफ किया कि वे उनके बिना शर्त माफी वाले हलफनामे को स्वीकार नहीं करेगी। अदालत ने कहा कि हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकारों का समर्थन करते हैं। लेकिन कई बार आत्म संयम बरतने की आवश्यकता होती है, जो हमें आपके साक्षात्कार में नहीं दिखी। 

आईएमए अध्यक्ष के बयान दुर्भाग्यपूर्ण
दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि आपका आचरण ऐसा नहीं है कि हम इतनी आसानी से माफ कर सकें। उन्होंने पूछा कि आपने एक लंबित मामले में बयान क्यों दिया, जिसमें आईएमए याचिकाकर्ता है। आपके पास लंबा अनुभव है। आप आईएमए अध्यक्ष हैं। ऐसे में आपसे उम्मीद की जाती है कि आप जिम्मेदारी से बात करेंगे। आप आपनी आंतरिक भावनाओं को इस तरह प्रेस में व्यक्त नहीं कर सकते। वह भी अदालत के आदेश के खिलाफ। आपके बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। 

हम दयालु हैं, मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी कह सकता है
अदालत ने कहा कि आईएमए ने ही पतंजलि आयुर्वेद को कोर्ट में घसीटा था। आईएमए ने ही दावा किया था कि वे पूरी दुनिया को धोखा दे रहे हैं। एलोपैथी को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। एलोपैैथी को बदनाम किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि आप जानते हैं कि आपने जो भी यहां दलील दी हमने उसे गंभीरता से लिया। दूसरे पक्ष को अदालत में बुलाया। उनकी माफी को भी हमने कई बार अस्वीकार किया है। अशोकन के हलफनामे से अदालत खुश नहीं है। सिर्फ हम कृपालु हैं, इसका मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी कहकर बच सकता है।  

आपने संस्था पर हमला किया
अदालत ने कहा कि आप किस तरह का उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। आपने सार्वजनिक माफी क्यों नहीं मांगी। आपने यहां आने का इतंजार क्यों किया। आप न्यायाधीशों की आलोचना कर सकते हैं। न्यायाधीश व्यक्तिगत आलोचना पर प्रतिक्रिया नहीं देते क्यों कि उनमें अहंकार नहीं है। हम व्यक्तिगत रूप से उदार हैं। हम इसे अन्यथा नहीं लेते। हमारे पास अधिकार हैं फिर भी हम शांत रहते हैं।  लेकिन आपने संस्था पर हमला किया है।  

पतंजलि से जुड़ा मामला समझें
बता दें कि शीर्ष अदालत 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि वे अपनी गलतियों के लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करेंगे। उन्होंने देश भर के 67 समाचार पत्रों में अब तक माफीनामा प्रकाशित कराया है।