छत्तीसगढ़

ईरान के राष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर पहाड़ियों से टकराया, बारिश व घने कोहरे के कारण हादसा; रईसी अभी भी लापता

दुबई। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को ले जा रहे हेलीकॉप्टर को रविवार को पूर्वी अजरबैजान प्रांत में खराब मौसम की वजह से ‘हार्ड लैंडिंग’ करनी पड़ी। राष्ट्रपति की स्थिति के बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि वह सुरक्षित हैं और जमीनी रास्ते से तबरिज जा रहे हैं।

इस बीच, बचाव दल लैंडिंग स्थल पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन खराब मौसम की वजह से इसमें बाधा आ रही है। लैंडिंग स्थल वन क्षेत्र है और वहां हवाओं के साथ भारी बारिश और कोहरे की सूचना है। देशभर में उनकी कुशलता के लिए प्रार्थना की जा रही है। ईरान के सरकारी टीवी के मुताबिक, रईसी पड़ोसी देश अजरबैजान की एक दिन की यात्रा पर गए थे, जहां उन्होंने अपने समकक्ष इल्हाम अलियेव के साथ मिलकर संयुक्त रूप से निर्मित एक बांध का उद्घाटन किया था।

लौटते समय उनके हेलीकॉप्टर को अजरबैजान से लगती सीमा पर ईरान के पूर्वी अजरबैजान प्रांत में स्थित शहर जोल्फा के नजदीक ‘हार्ड लैंडिंग’ करनी पड़ी। यह शहर राजधानी तेहरान के उत्तर-पश्चिम में करीब 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रपति के हवाई काफिले में तीन हेलीकॉप्टर थे, जिनमें से दो सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच गए।

राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर में देश के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने घटना के लिए ‘क्रैश’ शब्द का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि वह अभी तक लैंडिंग स्थल पर नहीं पहुंच पाए हैं। आंतरिक मंत्री अहमद वाहिदी ने सरकारी टीवी पर कहा कि बचाव दल क्षेत्र में जा रहे हैं, लेकिन खराब मौसम एवं कोहरे के कारण उन्हें हेलीकॉप्टर तक पहुंचने में समय लग सकता है। क्षेत्र थोड़ा उबड़-खाबड़ है और संपर्क करना मुश्किल है।

सरकार बचाव दलों के लैंडिंग स्थल पर पहुंचने और अधिक जानकारी मिलने का इंतजार कर रही है। उल्लेखनीय है कि ईरान के पास कई प्रकार के हेलीकॉप्टर हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से ईरान के लिए उनके कलपुर्जे हासिल करना मुश्किल हो गया है। उसकी वायुसेना का अधिकांश बेड़ा भी 1979 से पहले का है। 63 वर्षीय रईसी एक कट्टरपंथी नेता हैं जो अतीत में देश की न्यायपालिका का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्हें देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमनेई का शिष्य माना जाता है और उन्हें उनके उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता है।