छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा-पिछड़े वर्ग का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देना असंवैधानिक है

रायपुर : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का फैसला सुनाया है। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव की प्रतिक्रिया सामने आई है। जेपी नड्डा ने जहां ममता बनर्जी सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है,तो वहीं अरूण साव ने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्णय को कांग्रेस और इंडी गठबंधन के गाल पर करारा तमाचा दिया है।

गुरुवार को छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि यह निर्णय कांग्रेस और इंडी गठबंधन के गाल पर करारा तमाचा है। कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने पिछड़े वर्ग के हक पर डाका डाला,उसे लूटा,पिछड़े वर्ग के लोगो के साथ षडयंत्र किया है। अरुण साव ने कहा कि पिछड़े वर्ग का आरक्षण छीनकर मुसलमानो को देना असंवैधानिक है। भाजपा पूरी ताकत से ऐसे षड्यंत्र कारियो से लड़कर पिछड़े वर्ग के हको को सुनिश्चित करेगी। कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्णय का हम स्वागत करते है।

वही इसे पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि ये दोनों ही जो फैसले आए हैं, वो बताते हैं कि ममता बनर्जी की सरकार गैर-संवैधानिक तरीके से, तुष्टीकरण की नीति को आगे बढ़ा रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनाव में बड़े ही स्पष्ट शब्दों में इस विषय को उठाया कि किस तरीके से ये इंडी गठबंधन, ममता बनर्जी, राहुल गांधी और बाकी सारे टोला, घमंडिया गठबंधन के तहत तुष्टीकरण करने के साथ-साथ संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। संविधान में साफ लिखा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा, जिस मुस्लिम लीग के कारण भारत का विभाजन हुआ उसी को फिर से आगे बढ़ाने का काम ये सारा घमंडिया गठबंधन कर रहा है। ममता बनर्जी संविधान की रक्षा की शपथ लेते हुए मुख्यमंत्री बनी हैं और संविधान से ऊपर कोई भी नहीं है।

ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग सर्टिफिकेट को लेकर बड़ा फैसला लिया है। हाईकोर्ट ने बंगाल में 2010 के बाद बनी ओबीसी सूची को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा है कि अब कोई भी नए प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जाएंगे, हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि इस सूची के आधार पर जिन लोगों को नौकरी मिली है। उनके ऊपर इसका प्रभाव नहीं है। यानि उनकी नौकरी बरकार रहेगी। जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथर की खंडपीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर भाजपा नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है।