छत्तीसगढ़

कंगना को थप्पड़ पड़ा तो क्या कर रहे थे बॉडीगार्ड्स? वीवीआईपी की सिक्योरिटी पर भी उठे सवाल, कितनी होती है सुरक्षा?

नईदिल्ली : बीते दिनों कंगना रनौत के साथ एयरपोर्ट पर हुई घटना से चारों तरफ बवाल मचा हुआ है। कंगना ने वीडियो शेयर कर जानकारी भी दी थी कि वे ठीक हैं। हालांकि इस घटना ने उनका सिक्योरिटी पर कई तरह के प्रश्नचिह्न लगा दिये। कंगना के साथ सिक्योरिटी होते हुए भी ये घटना कैसे घट गई, ये बात अपने आप में काफी हैरत भरी है।

कंगना के साथ हुई घटना
कंगना रनौत के साथ जो घटना घटी, उसका सीसीटीवी फुटेज खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि कंगना सुरक्षा अधिकारियों के साथ चेक इन की ओर बढ़ रही थी। यहां कंगना कुछ CISF अधिकारियों के साथ बात करती दिखीं। कंगना को सुरक्षा तो मिली थी मगर वे कुछ अधिकारियों से बात कर रही थी जब उनके साथ ये घटना घटी।

कंगना को कब और क्यों मिली Y+ सिक्योरिटी?
कंगना रनौत को गृह मंत्रालय द्वारा साल 2020 में वाई प्लस सुरक्षा दी गई थी। तब उनके और संजय राउत के बीच विवाद हुआ था। कंगना ने तब दावा किया था कि मुंबई में उनकी जान को खतरा है।

बताते चलें कि तब से कंगना रनौत की सुरक्षा का जिम्मा 11 कमांडो को सौंपा गया है। दो कमांडो उन्हें मोबाइल सिक्योरिटी देंगे और एक कमांडो हर वक्त उनके आवास की रखवाली करेगा। इस सिक्योरिटी को अनऔपचारिक रूप से वीआईपी सिक्योरिटी कहा जाता है। ये आमतौर पर उसी इंसान को दी जाती है, जो सरकार या फिर सोसायटी में किसी अहम पद पर होता है।

सिक्योरिटी से जुड़ी अहम बातें
बताते चलें कि देश में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्रालय द्वारा जारी ‘ब्लू बुक’ में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार की जाती है। राजनीतिक हस्तियों सहित अन्य व्यक्तियों के लिए सुरक्षा व्यवस्था सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे का आकलन करने के बाद ‘व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा व्यवस्था’ शीर्षक वाली ‘येलो बुक’ में उल्लेखनीय बातों के आधार पर की जाती है।

कैसे और कब मिलती है सिक्योरिटी?
संसद सदस्यों के लिए केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा खतरे के आकलन के बाद ही दी जाती है। हालांकि, सांसदों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों के अपने मानदंड भी हैं। किसी विशेष राज्य में रहने वाले इन लोगों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को सुरक्षा का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है क्योंकि संविधान के अनुसार ‘कानून और व्यवस्था’ राज्य का विषय है।

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के अलावा नौकरशाहों, पूर्व नौकरशाहों, न्यायाधीशों, व्यापारियों, क्रिकेटरों, फिल्मी सितारों, संतों और कभी-कभी खतरे की आशंका के आधार पर आम लोगों को भी हाई सिक्योरिटी दी जाती है।

वीवीआईपी के लिए एसपीजी और अन्य सिक्योरिटी
भारत में वीवीआईपी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति होते हैं। भारत में, राजनीतिक नेताओं को सुरक्षा प्रदान करने का विचार 1960 के दशक में नक्सलवाद के खतरे के बाद पैदा हुआ था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में एसपीजी का गठन किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘ब्लू बुक’ और ‘येलो बुक’ में सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल को संहिताबद्ध किया।