नईदिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनाव-2024 में अग्निवीर योजना को लेकर विपक्ष के निशाने पर रही है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने चुनावी रैलियों में इसे मुद्दा बनाया. राहुल ने तो यहां तक कहा था कि केंद्र में उनकी सरकार आई तो वो इस योजना को खत्म कर देंगे. केंद्र में इंडिया गठबंधन की तो सरकार नहीं आई, जिसके बाद ये साफ हो गया कि अग्निवीर योजना जारी रहेगी. हालांकि सेना ने इसमें कुछ बदलाव करने की इच्छा जताई है. सेना क्या बदलाव करना चाहती है, उससे जानने से पहले हमें ये जानना होगा कि विपक्षी दलों की क्या आपत्ति थी.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान कहते थे कि अगर विपक्षी दल सत्ता में आया तो अग्निवीर योजना को रद्द कर दिया जाएगा और कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि हिंदुस्तान के जवानों को मजदूरों में बदला जा रहा है. राहुल ने कहा था कि ये मोदी सरकार की योजना है. सेना की योजना नहीं. सेना इस योजना को नहीं चाहती थी.
राहुल के मुताबिक, शहीद दो तरह के होंगे. एक सामान्य जवान और एक अधिकारी, जिन्हें पेंशन, शहीद का दर्जा, सभी सुविधाएं मिलेंगी और दूसरी तरफ एक गरीब व्यक्ति जिस परिवार को अग्निवीर नाम दिया गया है. उसे न तो शहीद का दर्जा मिलेगा, न पेंशन, न कैंटीन की सुविधा.
राहुल ही नहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी इस योजना के विरोध में रहे हैं. अखिलेश के मुताबिक, यह योजना अस्वीकार्य है. अग्निवीर योजना को युवा कभी स्वीकार नहीं कर सकते. देश की सुरक्षा के लिए अगर आप सिर्फ 4 साल की नौकरी देंगे और उसमें भी आपको कोई सुविधा नहीं मिलेगी और देश के लिए मरने पर सैनिक को सम्मान नहीं मिलेगा. इन 4 वर्षों के भीतर कोई भी इस नौकरी को स्वीकार नहीं करेगा.
सेना ने इन बदलावों की जताई इच्छा
भारतीय सेना ने अग्निपथ योजना की समीक्षा की है. वो इसमें सुधार के लिए कई सिफारिशें की है. इनमें 4 साल पूरे करने के बाद नियमित सेवा में शामिल होने वाले अग्निवीरों का प्रतिशत मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत करना शामिल है. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना ने सेवा अवधि को 4 साल से बढ़ाकर 7-8 साल करने का सुझाव दिया है. इसके अलावा तकनीकी क्षेत्र में अग्निवीरों के लिए प्रवेश आयु बढ़ाकर 23 वर्ष करने की सिफारिश की है. सेना ने ये भी सुझाव दिया कि प्रशिक्षण के दौरान विकलांगता के लिए अनुग्रह राशि प्रदान की जानी चाहिए.
इसके अलावा एक पेशेवर एजेंसी होनी चाहिए जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भविष्य की नौकरियां खोजने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन दे. इसके अलावा यदि कोई अग्निवीर युद्ध में मर जाता है तो उनके परिवार को निर्वाह भत्ता मिलना चाहिए.
अभी क्या व्यवस्था है?
अग्निवीर योजना पेंशन बिल को कम करने और सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी. हालांकि, नए भर्ती किए गए सैनिकों के बीच प्रशिक्षण और विशेषज्ञता की कमी को लेकर चिंताएं जताई गईं. यह योजना साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल की अवधि के लिए भर्ती करने का प्रावधान करती है, जिसमें से 25 प्रतिशत को 15 वर्षों तक बनाए रखने का प्रावधान है. योजना के मुताबिक, 75 प्रतिशत अग्निवीर जो 4 साल में रिटायर होंगे हैं, उन्हें 12 लाख रुपये एकमुश्त दिया जएगा.