नईदिल्ली : भारत-बांग्लादेश किडनी प्रत्यारोपण गिरोह के मास्टमाइंड बांग्लादेशी रसेल ने सबसे पहले अपनी अपनी किडनी दान की थी। उसने वर्ष 2019 में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अपनी किडनी दी थी। उसने किडनी इसलिए डोनेट की थी कि ताकि वह किडनी डोनेट करने वाले लोगों को दिखा सके कि एक किडनी देने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। गिरोह के सदस्य किडनी दानकर्ता व प्राप्तकर्ता के बांग्लादेश में ही नोएडा स्थित अपोलो व यथार्थ अस्पताल के फर्जी कागजात बना देते थे। इन फर्जी कागजातों के आधार पर इनको भारत का मेडिकल आसानी मिल जाता था।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि गिरोह सरगना वर्ष 2019 में बांग्लादेश से भारत आया था। यहां पर वह गैर कानूनी रूप से किडनी प्रत्यारोपण का गिरोह चला रहे तासीन के संपर्क में आया। तासीन ने उसे अपने गिरोह से जोड़ लिया। इसके बाद रसेल ने वर्ष 2019 में ही दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अपनी किडनी दान की। उसे किडनी डोनेट करने के चार लाख टका (बांग्लादेशी मुद्रा) मिली थे। इसके बाद ये बांग्लादेश से किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता को भारत लाकर उनकी गैर कानूनी रूप से किडनी बदलवाने लगा। वर्ष 2021 में तासीन ब्लैकलिस्ट हो गया और भारत से फरार हो गया। इसके बाद गिरोह की कमान रसेल ने संभाल ली।
रसेल जिन किडनी डोनर व प्राप्तकर्ता को भारत लाता था उनके पासपोर्ट व वीजा तो असली होते थे। मगर मेडिकल कागजात फर्जी होते थे। ये बांग्लादेश में ही डोनर व प्राप्तकर्ता के फर्जी मेडिकल कागजात तैयार करते थे। ये नोएडा स्थित अपोलो व यथार्थ अस्पताल की अपाइंटमेंट व पैसे जमा कराने के फर्जी कागजात तैयार करते थे। इसके बाद ये बांग्लादेश उच्चायोग के फर्जी कागजात भी तैयार कर लेते थे। इसके बाद इनको मेडिकल ग्राउंड पर भारत का वीजा मिल जाता था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये गिरोह 500 से ज्यादा बांग्लादेशी लोगों की गैर कानूनी तरीके से किडनी प्रत्यारोपण करवा चुके हैं।