छत्तीसगढ़

नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस; राजस्थान हाईकोर्ट से जुड़ा है मामला

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से नीट-यूजी 2024 परीक्षा से संबंधित दायर याचिकाओं पर नोटिस जारी किया। याचिका में राजस्थान हाईकोर्ट के सामने लंबित मामलों को शीर्ष कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें नीट-यूजी 2024 के नतीजों को रद्द करने और परीक्षा को फिर आयोजित के निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाओं में पेपर लीक होने और कई अन्य गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए हैं। याचिकाओं के जरिए अभ्यर्थियों ने शीर्ष अदालत में प्रतिपूरक अंक और परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों में विसंगति का मुद्दा भी उठाया था।

इससे पहले एक अवकाश पीठ ने 14 जून को एनटीए की इसी तरह की याचिकाओं पर पक्षों को नोटिस जारी किए थे। एनटीए की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वर्धमान कौशिक ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ से आग्रह किया कि याचिकाओं के नए बैच को भी शीर्ष अदालत में स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि वे एक ही मुद्दे से संबंधित हैं।

पीठ ने कहा कि नोटिस जारी करें और टैग करें। इन याचिकाओं पर भी 18 जुलाई को NEET-UG विवाद पर लंबित याचिकाओं के साथ विचार किया जाएगा। एनटीए ने पीठ से विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित कार्यवाही पर रोक लगाने का भी आग्रह किया।

पहले 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी सुनवाई
इससे पहले पीठ ने 11 जुलाई को NEET-UG 2024 को रद्द करने, फिर से परीक्षा कराने और जांच करने की मांग करने वाली अन्य याचिकाओं पर सुनवाई 18 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी थी। पीठ ने यह भी कहा था कि उसे परीक्षा में कथित अनियमितताओं की जांच में हुई प्रगति पर सीबीआई से स्थिति रिपोर्ट मिली है।

अतिरिक्त हलफनामे में केंद्र ने कही थी यह बात
वहीं, 10 जुलाई को शीर्ष अदालत में दायर एक अतिरिक्त हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि नीट-यूजी 2024 के परिणामों का डेटा विश्लेषण आईआईटी मद्रास द्वारा किया गया था। इसमें पाया गया कि न तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत था और न ही उम्मीदवारों के एक स्थानीय समूह को इसका लाभ मिला। सरकार का यह दावा शीर्ष अदालत द्वारा 8 जुलाई को की गई टिप्पणियों के मद्देनजर अहम था कि अगर 5 मई को हुई में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है तो वह फिर से परीक्षा का आदेश दे सकती है।