नईदिल्ली : दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि एजेंसी के पास ऐसे दस्तावेज हैं, दिल्ली आबकारी नीति में सिसोदिया की गहरी संलिप्तता दिखाते हैं.
ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने जस्टिस भूषण रामाकृष्णन गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच को बताया कि यह कोई मनगढ़ंत मामला नहीं है क्योंकि ऐसे कई सबूत हैं जो संकेत देते हैं कि सिसोदिया एक्साइज पॉलिसी के धनशोधन के मामले से सीधे तौर पर जुड़े हैं. सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टगेशन (CBI) की कार्यवाही में देरी हो रही है.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई और ईडी की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में कुल 493 गवाह और 69,000 पेज के दस्तावेज हैं. सिंघवी ने पीठ से कहा, ‘मुझे (सिसोदिया को) 17 महीने बाद भी जेल में क्यों रहना चाहिए, यह (व्यक्ति की) स्वतंत्रता का बड़ा सवाल है.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे जेल में रखने का मकसद क्या है?’
सिंघवी की दलीलों का विरोध करते हुए एएसजी राजू ने कहा, ‘मेरे पास इस मामले में उनकी (सिसोदिया की) गहरी संलिप्तता को प्रदर्शित करने वाले दस्तावेज हैं. ऐसा नहीं है कि वह एक निर्दोष व्यक्ति हैं और उन्हें यूं ही उठा लिया गया.’ एएसजी राजू ने दलील दी कि इन मामलों में कार्यवाही में जांच एजेंसियों की ओर से कोई देरी नहीं हुई है और दोहरे मामलों में आरोपियों ने उन दस्तावेजों का अवलोकन करने में पांच महीने लगा दिए जो मुकदमे के लिए प्रासंगिक नहीं थे.
मनीष सिसोदिया को शराब नीति मामले में उनकी कथित भूमिका के लिए 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें 9 मार्च 2023 धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. उन्होंने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. कोर्ट में दलीलें मंगलवार को भी पेश की जाएंगी.