छत्तीसगढ़

बंटवारा नहीं होता तो भारत में होती 59 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम आबादी, इंडोनेशिया को छोड़ दिया होता पीछे

“मैंने तो लाहौर भारत को दे दिया था, लेकिन तभी मुझे अहसास हुआ कि पाकिस्तान के पास कोई बड़ा शहर नहीं है। मैं कलकत्ता पहले ही भारत को दे चुका था। इसलिए मुझे लाहौर पाकिस्तान को देना पड़ा।”

भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लाइन खींचने वाले सिरिल रेडक्लिफ ने एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही थी। भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पहली बार आजादी से करीब ढाई महीने पहले जून 1947 में जवाहरलाल नेहरू को बंटवारे का प्लान दिखाया था।

नेहरू प्लान से जुड़े कागजात अपने कमरे में ले आए थे। जिस दस्तावेज में देश का भविष्य कैद था उसके एक-एक पन्ने के हर शब्द को ध्यान से पढ़ा। हर एक वाक्य के साथ उनकी बेचैनी बढ़ रही थी। उनकी कल्पना का भारत उनके सामने कई टुकड़ों में दिख रहा था।

प्लान में लिखा था कि भारत के 565 प्रिंसली स्टेट चाहें तो स्वतंत्र रह सकते थे। उन पर भारत और पाकिस्तान में शामिल होने की पाबंदी नहीं होगी। नेहरू सीधा अपने भरोसेमंद साथी कृष्ण मेनन के पास पहुंचे। प्लान को मेनन के बेड पर फेंका और चिल्लाते हुए कहा- सब खत्म हो गया। इसके बाद एक नया ड्राफ्ट बनाया गया, जिसने भारत के विभाजन का खांका खींचा।

1947 में देश के बंटवारे से बने भारत और पाकिस्तान और 24 साल बाद 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बना बांग्लादेश। यह बंटवारा उसी तरह का था, जैसा दो भाइयों के बीच होता है। जमीनें बंटी और इसके साथ-साथ घर का सामान भी बंटा। इसमें पैसों से लेकर सोने की बग्घियां और जानवर तक शामिल थे।

लेकिन यह विभाजन नहीं होता तो आज भारत किस रूप में होता? बंटवारे में 10 लाखों लोगों ने दम नहीं तोड़ा होता। पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हिस्सा होते। इस स्टोरी में जानेंगे कि अविभाजित भारत कैसा दिखता…

सबसे पहले देखिए कैसा होता अविभाजित भारत का नक्शा…

 - Dainik Bhaskar

भारत में रहती दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन नहीं होता तो दोनों देशों में कश्मीर को लेकर इतना बड़ा विवाद नहीं होता। दरअसल, पाकिस्तान हमेशा से मुस्लिम बहुल आबादी वाले कश्मीर को अपना हिस्सा बताता है। वहीं जब जम्मू-कश्मीर भारत में शामिल हुआ था तो उसे आर्टिकल 370 के रूप में विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बीच यह विवाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चौखट तक जा चुका है। पाकिस्तान बार-बार UN में कश्मीर का मुद्दा उठाता रहता है। वहीं भारत बाकी सभी देशों को हमारे आंतरिक मामलों से दूर रखने की सलाह देता है। भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 भी खत्म कर दिया था, जिसका पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया था।

अगर विभाजन नहीं होता तो पाकिस्तान आतंकियों का गढ़ नहीं बनता। इसके बाद भारत में 2001 के संसद हमले और 26/11 मुंबई अटैक जैसे आतंकी हमले नहीं होते। वहीं भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाता। अभी इंडोनेशिया 24.25 करोड़ लोगों के साथ दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है।

पाकिस्तान में 24 करोड़, भारत में 20 करोड़ और बांग्लादेश में 15 करोड़ मुस्लिम रहते हैं। अगर बंटवारा नहीं होता तो इस वक्त भारत में 59 करोड़ मुस्लिम आबादी होती। इसी के साथ भारत ने इंडोनेशिया को पीछे छोड़ दिया होता।

दुनिया का 15वां बड़ा समुद्री इलाका वाला देश होता भारत
भारत में गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक के हिस्से में हमारा बॉर्डर समुद्र से लगता है। ऐसे में तटीय सीमा के अलावा देश की एक समुद्री सीमा भी होती है। ग, जिसे एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन यानी EEZ कहते हैं। इस क्षेत्र के पानी और उसमें मिलने वाले सभी खनिज पदार्थों पर देश का हक होता है।

भारत की अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा है। भारत का EEZ 23.05 लाख स्क्वायर किमी है। वहीं पाकिस्तान के पास अरब सागर में 2.90 लाख स्क्वायर किमी और बांग्लादेश के पास बे ऑफ बंगाल में 1.19 लाख स्क्वायर किमी का EEZ क्षेत्र है।

अगर पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत में होते तो हमारे पास दुनिया का 15वां सबसे बड़ा EEZ होता। इसका क्षेत्रफल 27.13 लाख स्क्वायर किमी होता। बांग्लादेश की समुद्री सीमा में नेचुरल गैस का भंडार है। इसके अलावा यहां कई हेवी मिनरल, जिर्कोन, रूटाइल, मैग्नेटाइट, मोनाजाइट जैसे पदार्थ भी मिलते हैं।

इनका इस्तेमाल आयरन-स्टील इंडस्ट्री, टेक्स्टाइल, प्लास्टिक, एयरक्राफ्ट, इंजन, स्पेसक्राफ्ट बनाने में होता है। साथ ही समुद्री सीमा के भीतर का इलाका मछुआरों की रोजी-रोटी पूरी करने में भी अहम भूमिका निभाता है। मछली पालन बांग्लादेश की GDP का 4% हिस्सा है। यह एक्सपोर्ट के मामले में दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है।

पाकिस्तान के EEZ में भी जिर्कोन, रूटाइल जैसे कई अहम खनिज पदार्थ मिलते हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में तेल और गैस की मौजूदगी के लिए जरूरी सभी शर्तें भी पूरी होती हैं। हालांकि, तकनीकी मुश्किलों की वजह से यहां तेल या गैस का भंडार ढूंढा नहीं जा सका है। अगर भारत का विभाजन नहीं होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश के EEZ के सभी रिसोर्स भारत के पास होते।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कराची का 25% योगदान
मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है। मैक्रोट्रेन्ड्स के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में भारत की मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू 456.06 अरब डॉलर थी। वहीं बांग्लादेश की मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू 100 अरब डॉलर और पाकिस्तान की 51.62 अरब डॉलर दर्ज की गई थी।

ऐसे में अविभाजित भारत की मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट वैल्यू करीब 607 अरब डॉलर होती। इंडस्ट्रीज की बात की जाए तो पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची देश का इंडस्ट्रियल सेंटर है। 2021 में खरीदने की क्षमता (PPP) के हिसाब से कराची की GDP 190 अरब डॉलर थी, जो देश की GDP का करीब 25% था।

पाकिस्तान को 35% टैक्स रेवेन्यू कराची से मिलता है। कराची में पाकिस्तान के 2 सबसे बड़े बंदरगाह (कराची पोर्ट, पोर्ट कासिम) मौजूद हैं। देश का 95% ट्रेड इन्हीं पोर्ट्स से होता है। पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर लाहौर का देश की अर्थव्यवस्था में 11% का योगदान है। 2025 तक लाहौर की GDP 5.6% की ग्रोथ के साथ 102 अरब डॉलर होने का अनुमान है।

लाहौर में 9 हजार इंडस्ट्रियल यूनिट हैं। पिछले कुछ दशकों में यह मैन्युफैक्चरिंग से सर्विस सेक्टर की तरफ शिफ्ट हो गया है। लाहौर की 42% वर्कफोर्स फाइनेंस, बैंकिंग और रियल एस्टेट जैसे सेक्टरों में काम करती है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर प्रोडक्शन वाला शहर है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में रेको डिक खदान में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा सोने-तांबे का भंडार है। यहां 5.9 अरब टन खनिज है। इसमें 0.41% धातु यानी करीब 11.76 लाख किलो सोने और तांबे के रिजर्व हैं। इस खदान में 40 साल तक खुदाई की जा सकती है।

भारत के पास होता दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा उद्योग
चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक है। बांग्लादेश का मासिक अपैरल और टेक्सटाइल एक्सपोर्ट 30 हजार करोड़ रुपए का है। वहीं, 12 हजार 500 करोड़ के साथ भारत चौथे नंबर पर है।

बांग्लादेश की आर्थिक तरक्की में कपड़ा उद्योग का बड़ा योगदान है। यह हर साल 35 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है। एक्सपोर्ट से होने वाली कुल कमाई का 84% हिस्सा बांग्लादेश के टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स से आता है। इस सेक्टर का देश की कुल GDP में 13% का योगदान है। टेक्सटाइल सेक्टर ने बांग्लादेश में करीब 40 लाख लोगों को काम दिया है।