कोलकाता: पश्चिम बंगाल में हुए कोलकाता रेप कांड के बाद जिस तरह से विरोध प्रदर्शन और आंदोलन हुआ, उससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार झुकती नजर आ रही है. बुधवार (21 अगस्त, 2024) को इस बात के तीन बड़े संकेत देखने को मिले, जो साफ तौर पर इशारे कर रहे हैं कि सीएम और उनकी सरकार फिलहाल बैकफुट पर आ चुकी है.
टीएमसी सरकार ने आंदोलनकारी मेडिकल छात्रों की मांगों को मानते हुए मौजूदा प्रिंसिपल सुहृता पॉल और एमएसवीपी बुलबुल मुखर्जी को हटा दिया है. आर जी कर के नए प्रिंसिपल मानुष बान्धोपाध्याय और नए मेडिकल सुप्रीटेंडेंट सप्तऋषि चटर्जी होंगे. सरकार ने इसके अलावा चेस्ट मेडिसिन के प्रमुख अरुणव दत्त चौधरी को भी हटा दिया, जबकि थोड़ी देर पहले स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने आरजीके में तबादलों की घोषणा की.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के लगभग 150 कर्मी तैनात किए जा रहे हैं. सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोलकाता के सरकारी अस्पताल में सीआईएसएफ की तैनाती के लिए बंगाल के मुख्य सचिव को पत्र लिखा, जिसके बाद सीआईएसएफ की तैनाती का फैसला हुआ.
इस बीच, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय ने बुधवार को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कहा कि वे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की उस ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करें, जिसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. आईटी मंत्रालय ने सभी ऐसे प्लेटफॉर्म्स से मृतका के पहचान वाले संदर्भों को फौरन हटाने के लिए कहा है.