लखनऊ : विधानसभा उपचुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन खटाई में पड़ता दिख रहा है। मध्य प्रदेश और हरियाणा में सीटें न मिलने से सपा भी यूपी में साझेदारी के लिए तैयार नहीं बताई जा रही है। वैसे भी सपा के कुछ रणनीतिकार मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ साझेदारी के दूरगामी परिणाम उसके हित में नहीं होंगे।
यूपी में 10 विधानसभा सीटों करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां और मीरापुर में उपचुनाव होने हैं। कांग्रेस इनमें से पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है। इस बारे में कांग्रेस ने अपना प्रस्ताव भी सपा नेतृत्व के सामने रख दिया है।
सपा ने मांगी थीं दो सीटें
सपा ने भी हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस से दो सीटें मांगी थीं। लेकिन, कांग्रेस की हरियाणा इकाई सपा को कोई भी सीट न देने पर अड़ गई। कांग्रेस हाईकमान से भी कई बार की वार्ता के बाद बात नहीं बनी। उससे पहले यही स्थिति मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हो चुकी है।
सपा सूत्रों का कहना है कि जब अपने प्रभाव वाले राज्यों में कांग्रेस, सपा के साथ साझेदारी के लिए तैयार नहीं है, तो यूपी में भी कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसे महज दो सीटें मिली थीं। अधिकतर सीटों पर उसकी करारी हार हुई थी। इसलिए सपा नेतृत्व ने चुनाव वाले सभी 10 जिलों के अपने पार्टी संगठन को तैयारी में जुट जाने के लिए कह दिया गया है।
न के बराबर है संभावना
क्या सपा नेतृत्व बड़ा दिल दिखाते हुए यूपी में कांग्रेस को कुछेक सीटें देने के लिए ऐन वक्त पर तैयार तो नहीं हो जाएगा? यह पूछे जाने पर अखिलेश यादव के एक नजदीकी नेता बताते हैं कि इसकी संभावना न के बराबर है। वे नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताते हैं कि यूपी में कांग्रेस और सपा अलग-अलग चुनाव लड़ें, यही सपा के ज्यादा हित में है।