छत्तीसगढ़

क्या रोहित पवार होंगे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री चेहरा? शरद पवार के बयान के बाद सियासी हलचल तेज

मुम्बई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है. 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 की तुलना में बिलकुल अलग राजनीतिक पिच पर खेला जा रहा है. इस बीच महाविकास अघाड़ी के मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं. वहीं एनसीपी शरद चंद्र पवार पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के संकेत के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है.

दरअसल, खुद मुख्यमंत्री बनने की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा, “विधायक के रूप में मेरे पांच साल के बाद मुझे सत्ता की एक नहीं बल्कि दूसरी सीट मिली. मैं गृह राज्य मंत्री बना, कृषि मंत्री बना, शुरुआती दिनों में राज्य मंत्री रहा. वसंत दादा के निधन के बाद मैं खुद मुख्यमंत्री बना. एक बार ही नहीं, बल्कि चार बार मुख्यमंत्री बना.” इस घटनाक्रम को बताने के बाद उन्होंने रोहित पवार के मंत्री बनने को लेकर सांकेतिक बयान दिया.

रोहित पवार होंगे मुख्यमंत्री पद के दावेदार? 
खबर के अनुसार, एनसीपी (SP) नेता शरद पवार ने आगे कहा कि रोहित ने पांच साल महाराष्ट्र की सेवा की. वे आगे भी अपनी सेवा महाराष्ट्र के इतिहास में दर्ज करवाते रहेंगे. शरद पवार ने अपना राज्य मंत्री से मुख्यमंत्री तक का सफर बताया. जिसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि शरद पवार ने बातों-बातों में रोहित पवार का  मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय कर दिया है. 

बता दें कि शरद पवार रोहित पवार के निर्वाचन क्षेत्र जामखेड तालुका के खारदा में विभिन्न विकास कार्यों के भूमिपूजन और समर्पण समारोह में पहुंचे थे, जहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. पवार के बयान चर्चाएं तेज हो गई है कि क्या शरद पवार के बाद एनसीपी (SP) से रोहित पवार मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे. 

इससे पहले जामखेड तालुका में सीआरपीएफ केंद्र का उद्घाटन विवादों में आ गया था. एनसीपी शरद पवार गुट के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच यहां नोकझोंक हुई थी. केंद्र के बाहर पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई थी. रोहित पवार के कार्यकर्ताओं ने उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और पूर्व विधायक राम शिंदे के खिलाफ नारे लगाए थे. जिसपर बीजेपी नेता राम शिंदे ने एक ट्वीट कर रोहित पवार पर निशाना साधा था.राम शिंदे ने ट्वीट किया कि चूंकि शरद पवार पिछले पचास-साठ साल से देश की राजनीति में हैं. वह शिष्टाचार को अच्छी तरह से जानते हैं, उनके पोते ने एसआरपीएफ कुसडगांव केंद्र में जो किया वो सही था या गलत?