छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: कोल घोटाला मामले में दो आरोपियों को मिली सुप्रीम कोर्ट से जमानत, ED साबित नहीं कर सकी अपराध; 2 साल से जेल में बंद हैं दोनों

मनी-लॉन्ड्रिंग में ED अपराध साबित नहीं कर सकी, 2 साल से जेल दोनों में हैं बंद|छत्तीसगढ़,Chhattisgarh - Dainik Bhaskar

रायपुर। छत्तीसगढ़ कोल घोटाला मामले में जेल में बंद दो आरोपी शिवशंकर नाग और लक्ष्मीकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। हालांकि दोनों का जेल से निकलना अभी मुश्किल है। बताया जा रहा है कि, दोनों आरोपियों को ED से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिली है।

4 अक्टूबर को जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ में इसकी सुनवाई हुई है। कोल लेवी केस के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने लक्ष्मीकांत तिवारी और शिवशंकर नाग को गिरफ्तार किया था। लक्ष्मीकांत तिवारी करीब 2 साल और शिवशंकर करीब 22 महीने से जेल में बंद हैं।

जेल से बाहर आना आसान नहीं

दरअसल, ED में दर्ज केस में दोनों आरोपियों तो जमानत मिली है। दोनों के खिलाफ ACB-EOW ने भी FIR दर्ज है। EOW कोर्ट में मामला चल रहा है। दोनों न्यायिक रिमांड पर जेल में है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी उनका जेल से बाहर आना आसान नहीं है।

इस आधार पर मिली जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने ED की ओर से दर्ज कोल घोटाले केस में लंबे समय से कोई डेवलपमेंट नहीं होने और दोनों के जेल में बंद रहने के कारण कहा कि, यह आर्टिकल 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उनके अधिकार का उल्लंघन करता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी।

कोर्ट ने कहा कि, प्रवर्तन निदेशालय ने जो ECIR और मनी लाॉन्ड्रिग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। वह 12 जुलाई 2022 को बेंगलुरु के कडुगोडी पुलिस स्टेशन में दर्ज आईपीसी की धारा 186, 204, 353 और 120-बी के तहत एफआईआर के आधार पर हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा 

सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि, 8 जून 2023 को आरोप-पत्र दायर किया गया, जिसमें यह उल्लेख किया गया कि धारा 384 के तहत अपराध छत्तीसगढ़ में किया गया। इसके अलावा, सबूतों के अभाव में धारा 120-बी को आरोप-पत्र से हटा दिया गया। इस प्रकार, आरोप-पत्र दाखिल करने की तिथि तक कोई अपराध मौजूद नहीं था।

जिसके बाद आईपीसी की धारा 384 के तहत अपराध का आरोप लगाते हुए 17 जनवरी, 2024 को छत्तीसगढ़ में दूसरी एफआईआर दर्ज की गई। इस एफआईआर के लिए छत्तीसगढ़ में 19 जुलाई, 2024 को आरोप-पत्र दाखिल किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि 2022 में PMLA की धारा 44 के तहत ED की शिकायत दर्ज होने तक कोई अनुसूचित अपराध अस्तित्व में नहीं था। दोनों अपीलकर्ताओं की लंबी कैद को देखते हुए कोर्ट ने दोनों को जमानत दी।

लक्ष्मीकांत की 2022 में हुई थी गिरफ्तारी

29 सितंबर 2022 को ईडी की ओर से एफआईआर दर्ज करने के बाद लक्ष्मीकांत तिवारी को 13 अक्टूबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था। यह जांच 30 जून 2022 को बेंगलुरु के एक होटल में आयकर विभाग की छापेमारी से शुरू हुई। जिसमें कोयला घोटाले मामले में कथित तौर पर सूर्यकांत तिवारी के अवैध कोयला उगाही के सबूत उजागर हुए।

ईडी ने आरोप लगाया कि, लक्ष्मीकांत तिवारी ने अपराध की 26 करोड़ रुपये की आय को संभाला, जिसका इस्तेमाल अचल संपत्तियों को खरीदने के लिए किया गया था। उन पर अवैध नकदी जमा करने और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में सहायता करने का भी आरोप लगाया गया था।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पहले अपराध की गंभीरता और सबूतों के साथ छेड़छाड़ के जोखिम का हवाला देते हुए लक्ष्मीकांत तिवारी को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

शिवशंकर की गिरफ्तारी 2023 में हुई थी

वहीं, खनन विभाग में एक उप निदेशक शिवशंकर नाग को 25 जनवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था, उन्हें सूर्यकांत तिवारी के साथ मिलकर कोयला परिवहन पर लेवी के अवैध संग्रह से जुड़ी एक योजना में भी फंसाया गया था। ईडी ने आरोप लगाया कि शिवशंकर नाग ने बदले में कोयला वितरण आदेशों का सत्यापन किया।

जिससे जबरन वसूली रैकेट को बढ़ावा मिला। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी अपराध की आय को वैध बनाने और गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता का हवाला देते हुए नाग को जमानत देने से इनकार कर दिया था।