छत्तीसगढ़

कैसे हुई रतन टाटा की 55 साल छोटे लड़के से दोस्ती? निधन पर बयां किया जिगरी ने किस्सा

नईदिल्ली : भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। 9 अक्टूबर की रात करीब 11 बजे उन्होंने इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में अपनी अंतिम सांस ली। उद्योग जगत के वरिष्ठ सदस्य हर्ष गोयनका ने सबसे पहले उनके निधन की खबर साझा की। इस दुखद समाचार के बाद पूरा देश शोक में डूब गया। रतन टाटा अपने ईमानदारी भरे नेतृत्व, नैतिकता और परोपकार के प्रतीक माने जाते थे।

आज गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक रतन टाटा का पार्थिव शरीर साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) के हॉल में अंतिम श्रद्धांजलि के लिए रखा गया है। इस मौके पर देशभर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं। सोशल मीडिया पर भी श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है। रतन टाटा के सबसे करीबी सहायक शांतनु नायडू ने भी एक भावुक पोस्ट के जरिए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

उद्योग जगत में शोक की लहर!
रतन टाटा के निधन को उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है। आनंद महिंद्रा और हर्ष गोयनका जैसे प्रमुख उद्योगपतियों ने उनकी मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है। लेकिन उनके सबसे करीबी लोगों के लिए यह व्यक्तिगत दुख भी है।

शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के करीबी सहायक और दोस्त थे, ने LinkedIn पर एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा, “इस दोस्ती ने मेरे अंदर जो खालीपन पैदा किया है, उसे मैं अपनी पूरी जिंदगी भरने की कोशिश करता रहूंगा। प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।”

कैसे हुई 55 साल लड़के से दोस्ती?
शांतनु नायडू और रतन टाटा के बीच दोस्ती का संबंध जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम से जुड़ा था। 2014 में जब नायडू ने आवारा कुत्तों को बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए, तो रतन टाटा उनकी इस पहल से बेहद प्रभावित हुए। इसके बाद, उन्होंने नायडू को अपने लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया। तब से, दोनों के बीच घनिष्ठ मित्रता विकसित हुई, और नायडू रतन टाटा के जीवन के अंतिम वर्षों में उनके बेहद करीबी दोस्त बन गए।

रतन टाटा के निधन पर टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, “हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वे न केवल टाटा समूह के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक असाधारण नेता थे। उनके नेतृत्व ने टाटा समूह के वैश्विक विस्तार में अहम भूमिका निभाई, साथ ही उनकी नैतिकता और मानदंडों को हमेशा प्राथमिकता दी गई।”

रतन टाटा का परोपकार
रतन टाटा ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा समाज के कल्याण के लिए समर्पित किया। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और विभिन्न सामाजिक योजनाओं में उनका योगदान आज भी लाखों लोगों के जीवन में दिखता है। उनका परोपकार आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा। हर छोटी-बड़ी बातचीत में उनकी विनम्रता और सहानुभूति झलकती थी, जो उन्हें और भी महान बनाती थी।

रतन टाटा ने अपने जीवन में जो सिद्धांत अपनाए और जिनके लिए उन्होंने काम किया, वे हमेशा हमें प्रेरित करेंगे। उनकी विरासत भारत के उद्योग जगत और समाज में एक मिसाल के रूप में जीवित रहेगी। टाटा समूह और देश के हर नागरिक के लिए वे एक आदर्श बने रहेंगे। उनके सिद्धांत और मूल्य आने वाले वर्षों में भी हमारा मार्गदर्शन करेंगे।