गरियाबंद। गांव-देहात में आज भी प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए झोलाछाप डॉक्टर बेधड़क काम कर रहे हैं. यह बात देवभोग तहसील के ग्राम डोंगरीगुड़ा में देखने को मिली, जहां धान जब्ती के लिए गया प्रशासनिक अमला फार्मासिस्ट के घर पर तीन कमरों में चल रहे अस्पताल को देखकर दंग रह गया. वैधानिक दस्तावेज नहीं मिलने पर तहसीलदार ने बीएमओ की मौजूदगी में अस्पताल वाले मकान को सील किया.
देवभोग तहसीलदार चितेश देवांगन देर शाम धान के अवैध भंडारण की सूचना पर कार्यवाही के लिए निकले थे. दो गांव में 290 बोरा धान भी जब्त कर लिया था, लेकिन जैसे ही डोंगरीगुड़ा में अवैध भंडारण की सूचना की तस्दीक करने टीम पहुंची तो भौचक रह गई. तहसीलदार ने मकान मालिक हेमलाल नागेश से धान के बारे पूछताछ शुरू किया तो वह सहयोग करने के बजाए उल्टा सीधा जवाब देने लगा, तभी तहसीलदार की नजर घर पर चल रहे अवैध क्लिनिक पर पड़ी. इस पर पूछताछ करते ही हेमलाल ताला खोल कर भाग खड़ा हुआ.
एक लाख रुपए मूल्य की मिली दवा
बड़ी गड़बड़ी की आशंका पर तहसीलदार ने तत्काल सरपंच, बीएमओ व पुलिस को सूचित किया. सभी की मौजूदगी में मकान की विधिवत जांच हुई तो तीन कमरों में अवैध रूप से संचालित अस्पताल पाया गया. इसके साथ गर्भपात में इस्तेमाल होने वाली प्रतिबंधित दवा के साथ गर्भ जांच किट समेत 50 प्रकार की करीबन एक लाख रुपए मूल्य की दवा मिली. इसके अलावा माइक्रोस्कोप मशीन, खून जांच व ड्रेसिंग किट, बीपी, शुगर जांच के मशीन भी पाए गए. इस पर विधिवत जब्ती बनाकर मकान को सील कर दिया.
कार्रवाई की खुल गई पोल
दो माह पहले कलेक्टर ने अनुविभाग प्रशासन को अवैध क्लिनिकों जांच कर कार्रवाई की जवाबदारी दिया था. एसडीएम तुलसीदास के नेतृत्व में अगस्त अंतिम सप्ताह से लेकर सितम्बर पहले सप्ताह तक देवभोग में संचालित दो अवैध क्लिनिक को स्वास्थ्य अमले की मौजूदगी में व सितलीजोर में संचालित क्लिनिक को एसडीएम ने ग्राम प्रमुख की मौजूदगी में सील किया गया था. ताबड़तोड़ कार्यवाही के जरिए जिला प्रशासन के समक्ष अवैध क्लिनिक के सफाई का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत में अभी भी क्षेत्र में 20 से ज्यादा अवैध क्लीनिक संचालित बताए जा रहे हैं.