छत्तीसगढ़

शारदा सिन्हा के निधन से दौड़ी शोक की लहर; 72 साल की आयु में दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

नईदिल्ली : लोक गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की आयु में निधन हो गया। शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद बेटे अंशुमान सिन्हा ने कहा, ‘आप सब की प्रार्थना और प्यार हमेशा मां के साथ रहेंगे। मां को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया है । मां अब शारीरिक रूप में हम सब के बीच नहीं रहीं।’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शोक प्रकट किया
शारदा सिन्हा के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैथिली और भोजपुरी में अपनी मधुर आवाज देकर शारदा सिन्हा ने अपार लोकप्रियता पाई। उन्होंने कहा, ‘उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा। मैं उनके परिवारजन एवं प्रशंसकों के प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करती हूं।’

पीएम मोदी ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई हस्तियों ने शोक जताया है। पीएम मोदी ने कहा कि मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत शारदा सिन्हा की आवाज में रिकॉर्ड किए गए, जो पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।

लोकप्रिय लोक और शास्त्रीय गायिका शारदा सिन्हा का नाम बिहार की संस्कृति और आकर्षण से बहुत जुड़ा हुआ है। अचानक तबीयत बिगड़ जाने पर उन्हें दिल्ली एम्स में लाइफ सपोर्ट के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। शारदा सिन्हा को कला जगत में अभूतपूर्व योगदान के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से नवाजा गया था। पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे फोन पर बात कर मां की तबीयत के बारे में जानकारी ली।

शारदा सिन्हा को मैथिली और भोजपुरी संगीत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें लोक गायिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में जाना जाता है। गायिकी के अलावा शारदा सिन्हा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में भी सक्रिय रहीं। लगभग पांच दशक लंबे संगीत करियर में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले। बिहार सरकार ने भी इन्हें सम्मानित किया।