नईदिल्ली : देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के ग्राउंड कमांडर यानी सहायक कमांडेंट से लेकर कमांडेंट तक के रैंक वाले अधिकारियों के राशन मनी भत्ते पर कैंची चल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेशों के बाद सीआरपीएफ में ड्यूटी बटालियन को छोड़कर अन्य जगहों पर तैनात अफसरों का राशनी मनी भत्ता बंद कर दिया गया है। इसकी वजह से सीआरपीएफ अफसरों को प्रतिमाह औसतन 4000 रुपये का आर्थिक नुकसान होगा। यह भत्ता बंद होने के कारण ग्राउंड कमांडर से लेकर कमांडेंट तक के अफसरों में निराशा का भाव आ गया है। सूत्रों के मुताबिक, बल के कैडर अफसर इसे मनोबल तोड़ने करने वाला आदेश बता रहे हैं। ग्राउंड कमांडर, डिप्टी कमांडेंट, टूआईसी व कमांडेंट, सरकार के इस आदेश से निराश हो गए हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की पुलिस 2 डिवीजन ने पिछले दिनों उक्त आदेश जारी किया है। इसके बाद सीआरपीएफ महानिदेशालय ने भी शुक्रवार को संबंधित अधिकारियों का राशन मनी भत्ता बंद कर दिया है। बल मुख्यालय की सूची में सहायक कमांडेंट और डिप्टी कमांडेंट सहित कई अफसरों का नाम शामिल है। इन्हें अब एक नवंबर के बाद राशनी मनी भत्ता नहीं मिलेगा। बता दें कि चार वर्ष पहले ‘सीआरपीएफ’ में 9 रैंक पर तैनात अधिकारियों और कर्मियों को डिटेचमेंट अलाउंस देने की बात हुई थी। इसके साथ ही यह आदेश भी जारी हुआ था कि वे कर्मी अगर राशन मनी के हकदार हैं तो उन्हें वह भी दिया जाएगा। किसी कर्मी या अधिकारी को यह कहकर किसी एक वित्तीय फायदे से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसे तो पहले से ही दूसरा फायदा मिल रहा है। सभी योग्य कर्मियों को उनका डिटेचमेंट अलाउंस व राशन मनी का भुगतान किया जाएगा।
उस वक्त सिपाही, हवलदार, एएसआई, एसआई, इंस्पेक्टर, सहायक कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट, सेकेंड इन कमांड और कमांडेंट को ये दोनों फायदे प्रदान किए गए थे। सीआरपीएफ मुख्यालय में तत्कालीन आईजी एडमिनिस्ट्रेशन एमएस भाटिया ने सितंबर 2020 को ये आदेश जारी किए थे। अगले वर्ष से राशन मनी भत्ता मिलना प्रारंभ हुआ था। तब जारी हुए आदेशों के मुताबिक, मौजूदा कर्मियों को ये फायदे देने के अलावा जिनका पिछला बकाया है, उसका भुगतान बिना किसी देरी के किया जाएगा। इतना ही नहीं, तब जारी हुए आदेशों में राशन मनी भत्ते का भुगतान 1998 से किया गया था।
सीआरपीएफ की 75 वीं बटालियन के सेकेंड इन कमांड विक्रम सिंह ने इस बाबत दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अदालत ने उनके द्वारा रखे गए साक्ष्यों को ठीक पाया और यह आदेश दिया कि सभी योग्य कर्मियों को डिटेचमेंट अलाउंस व राशन मनी एक साथ मिलेगा। 2020 तक बल में जो व्यवस्था चल रही थी, उसमें ये दोनों भत्ते नहीं दिए जा रहे थे। भले ही कोई अधिकारी या कर्मी, योग्य है, मगर उसे एक ही भत्ता मिलता था। इन दोनों भत्तों में थोड़ा बहुत अंतर रहता था। यानी डिटेचमेंट अलाउंस, राशन मनी से थोड़ा ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में देखने को मिलता था कि अनेक योग्य कर्मी राशन मनी अलाउंस छोड़ देते थे। बाद में मालूम हुआ कि ऐसा कोई नियम नहीं है। खास बात ये रही कि उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया था।
सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना था कि बल में ये सब आला अधिकारियों की मनमर्जी का नतीजा था। यदि कोई पूरा डिटेचमेंट अलाउंस ले लेता था तो उसे राशन मनी भत्ता नहीं मिलता था। याचिकाकर्ता विक्रम सिंह ने अदालत के समक्ष यही मुद्दा उठाया था कि इन दोनों भत्तों का आपस में कोई संबंध नहीं है। ये दोनों भत्ते, ड्यूटी के अनुसार दिए जाते हैं। कोई जवान या अधिकारी, अपनी बटालियन से बाहर जा रहा है तो उसे डिटेचमेंट अलाउंस मिलता है। राशन मनी, ये तो कर्मी का निवाला है, जो उसे हर सूरत में मिलना तय है। अदालत ने विक्रम सिंह के तर्क को सही मानते हुए ये आदेश दिया था कि अब सभी योग्य कर्मियों को ये दोनों भत्ते मिलेंगे। उन्हें एरियर का फायदा भी दिया गया।
सीआरपीएफ में कई स्थानों पर राशन मनी भत्ता रोकने के आदेश जारी हो गए हैं। ग्रुप सेंटर श्रीनगर, आरटीसी श्रीनगर और श्रीनगर सेक्टर दफ्तर में भी उक्त आदेश पहुँच चुके है। सीआरपीएफ में अब केवल ड्यूटी बटालियन में ही राशन मनी भत्ता मिलेगा। ड्यूटी बटालियन से कहीं अन्यत्र पदस्थ रहने पर अफसरों को राशन मनी नहीं मिलेगी। मौजूदा व्यवस्था में बल के किसी भी संस्थान में और कहीं भी पदस्थ रहने पर राशन मनी भत्ता मिल रहा था। अब ग्रुप सेंटर, सेक्टर, निदेशालय, ट्रेनिंग सेंटर और अन्य स्टेटिक संस्थान पर तैनात अफसरों को राशन मनी भत्ते की सुविधा से वंचित कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस आदेश के पीछे कानूनी अड़चन बताई जा रही है।