छत्तीसगढ़

जेल में बंद हैं पाकिस्तान के पूर्व कप्तान, भारतीय दिग्गज ने कहा-‘इमरान मुश्किल परिस्थितियों में न सिर्फ खुद को बल्कि टीम को भी मोटीवेट करने में सक्षम थे’

नईदिल्ली : वर्ल्ड कप 1983 में पाकिस्तान टीम के कप्तान रहे इमरान खान पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. तोशाखाना मामले में उन्हें 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है. इस्लामाबाद की स्थानीय अदालत ने उन्हें 5 अगस्त 2023 को तोशाखाना मामले में दोषी करार दिया था. लेकिन वर्ल्ड कप 1983 में टीम इंडिया की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले दिग्गज बल्लेबाज मोहिंदर अमरनाथ इमरान खान पर दिए अपने बयान को लेकर चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने इमरान खान के खेल की तारीफ की है. जो अब सुर्खियां बटोर रहा है.

अमरनाथ ने की इमरान खान की जमकर तारीफ

हाल ही में मोहिंदर अमरनाथ ने पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान की तारीफ करते हुए कहा कि इमरान अपने समय के बेहतरीन क्रिकेटर थे. अमरनाथ के मुताबिक इमरान खान मुश्किल परिस्थितियों में न सिर्फ खुद को बल्कि अपनी टीम को भी मोटीवेट करने में सक्षम थे.

मोहिंदर अमरनाथ ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि इमरान खान की कप्तानी ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. उन्होंने कहा, “इमरान खान में जो खास बात थी, वह थी उनका अपने और अपनी टीम के लिए संघर्ष करने का तरीका. वह सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि टीम को भी मुश्किल समय में उठाने की क्षमता रखते थे.” उन्होंने यह भी कहा कि एक अच्छा खिलाड़ी वही है, जो मुश्किल वक्त में आगे आकर टीम को प्रेरित कर सके, और इमरान ने हमेशा ऐसा किया.

अमरनाथ ने भारतीय चयनकर्ताओं को कहा था “जोकरों की टोली”

वर्ल्ड कप 1983 जीतने के बाद भी मोहिंदर अमरनाथ ने भारतीय क्रिकेट में कई बार वापसी की, लेकिन उनका करियर चयनकर्ताओं के साथ विवादों से भी घिरा रहा. 1988 में जब उन्हें बार-बार टीम से बाहर किया गया तो उन्होंने चयनकर्ताओं की आलोचना करते हुए उन्हें “जोकरों की टोली” कह दिया था. उनके इस बयान ने उस समय क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी थी.

जोकरों की टोली वाले बयान पर मोहिंदर अमरनाथ ने कहा- “मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि मेरे लिए और टीम के बाकी खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग नियम थे. मेरे लिए एक नियम होता था और मेरे कई साथी खिलाड़ियों के लिए दूसरा. लगभग सभी को पर्याप्त मौके मिले, लेकिन मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ. मेरे लिए नियम हमेशा अलग थे. लेकिन मैंने कभी अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की और न ही अपनी भावनाओं को दिखाया. जब मैंने चयनकर्ताओं को ‘जोकरों की टोली’ कहा, तो वह इसलिए था क्योंकि मैंने आखिरकार तय कर लिया कि हर चीज को चुपचाप सहते रहना सही नहीं है.”