मुम्बई : महाराष्ट्र की 38 सीटों पर मुस्लिम आबादी 20% से ज्यादा थी. ये सीटें इस बार के चुनाव में बड़ा राजनीतिक अखाड़ा बनकर उभरीं. भाजपा ने इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए 14 सीटों पर जीत दर्ज की जो 2019 के मुकाबले 3 सीटें ज्यादा हैं. महायुति गठबंधन ने कुल मिलाकर इन 38 सीटों में से 22 पर कब्जा किया. शिवसेना (शिंदे गुट) ने 6 और अजीत पवार के नेतृत्व वाली NCP ने 2 सीटें जीतीं. इसके उलट महा विकास आघाड़ी (MVA) केवल 13 सीटों पर ही सिमट गई जिसमें उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (UBT) ने 6 और NCP (शरद पवार गुट) ने 2 सीटें जीतीं.
कांग्रेस जिसने 2019 में इन क्षेत्रों में 11 सीटें जीती थीं. इस बार केवल 5 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई. मुंबई की मुंबादेवी, मालाड वेस्ट, धारावी, अकोला वेस्ट, और लातूर सिटी सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन इसका प्रदर्शन अन्य सीटों पर कमजोर रहा और पार्टी का मत प्रतिशत घटा. कांग्रेस के कई बड़े मुस्लिम नेता जैसे नवाब मलिक और जीशान सिद्दीकी अपनी-अपनी सीटों पर हार गए.
AIMIM: लगातार गिरावट और चुनौती
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के लिए ये चुनाव संघर्षपूर्ण रहा. पार्टी ने 2019 में 2 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वह केवल मालेगांव सेंट्रल सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी. इस सीट पर AIMIM के उम्मीदवार मुफ्ती इस्माइल ने मात्र 162 वोटों के बेहद कम अंतर से जीत हासिल की जो इस बार का सबसे कम मार्जिन था. AIMIM का प्रदर्शन अन्य सीटों पर कमजोर रहा. पार्टी ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा और अन्य दलों के मुकाबले उसे ज्यादातर स्थानों पर हार का सामना करना पड़ा.
महाराष्ट्र विधानसभा में इस बार 13 मुस्लिम विधायक चुने गए जो ऐतिहासिक दृष्टि से स्थिरता का संकेत देता है. इनमें कांग्रेस के अमीन पटेल, असलम शेख और सज्जाद पठान, NCP के हसन मुश्रिफ और सना मलिक, शिवसेना (UBT) के हारून खान, शिवसेना (शिंदे गुट) के अब्दुल सत्तार, AIMIM के मुफ्ती इस्माइल और समाजवादी पार्टी के अबू आजमी और रईस शेख शामिल हैं.
AIMIM और कांग्रेस के लिए आगे की चुनौती
AIMIM का प्रदर्शन लगातार गिरावट की ओर है. पार्टी के प्रमुख नेता इम्तियाज जलील जो औरंगाबाद ईस्ट से चुनाव लड़ रहे थे भाजपा के उम्मीदवार से हार गए. मालेगांव सेंट्रल सीट पर उनकी जीत का अंतर भी बहुत कम हो गया. पार्टी को अपनी रणनीति पर फिर से काम करने की जरूरत है. दूसरी ओर कांग्रेस के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में गिरता प्रदर्शन भविष्य में गंभीर चुनौती बन सकता है.
भाजपा की बढ़त: संगठित प्रयासों का नतीजा
भाजपा ने मुस्लिम बहुल सीटों पर अपनी रणनीति को मजबूती से लागू किया. उसने अंधेरी वेस्ट, भिवंडी वेस्ट, नागपुर सेंट्रल, और सोलापुर सेंट्रल जैसी प्रमुख सीटों पर जीत दर्ज कर दिखाया कि पार्टी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी अपनी पैठ बनाने में सक्षम है. यह भाजपा की व्यापक संगठन क्षमता और गठबंधन सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल का नतीजा है.