छत्तीसगढ़

संभल में जामा मस्जिद का विवाद क्या है, कोर्ट ने सर्वे का आदेश क्यों दिया?

संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में इस वक्त तनाव फैला हुआ है। बीते दिन यानी रविवार को संभल शहर की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल वाद के आधार पर सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम पहुंची तो हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई है और कई अधिकारियों समेत दर्जनों लोग घायल हुए हैं। तनाव को देखते हुए संभल में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है।

हिंसक घटना के बाद देश में राजनीति भी शुरू हो गई है। पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। आइये जानते हैं कि संभल की जामा मस्जिद का विवाद क्या है? यह मामला अदालत में कब और कैसे पहुंचा? अभी क्या हुआ है? सर्वे क्यों कराया जा रहा है? हिंसा क्यों भड़की? 

अभी क्यों चर्चा में मस्जिद का विवाद?
दरअसल, मंगलवार (19 नवंबर) को एक स्थानीय अदालत ने संभल के चंदौसी स्थित जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था। यह आदेश चंदौसी में संभल के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आदित्य सिंह की अदालत ने पारित किया था। सर्वे का आदेश एक याचिका के बाद आया था जिसमें दावा किया गया था कि 1529 में मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। याचिका 19 नवंबर को ही दायर की गई थी और उसी दिन न्यायाधीश ने एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया और उसे मस्जिद में प्रारंभिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक उसके समक्ष प्रस्तुत की जाए।

संभाल में जामा मस्जिद क्या है?
आगरा सर्कल मुरादाबाद डिवीजन की वेबसाइट के अनुसार, जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है। इसे केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किया गया है। 

मामले में याचिकाकर्ता कौन है?
संभल कोर्ट में कुल आठ याचिकाकर्ता हैं। इनमें वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन भी शामिल हैं, जो ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद में भी वकील हैं। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने वाद दाखिल किया है। संभल के कैला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी भी इसमें याचिकाकर्ता हैं। अन्य याचिकाकर्ताओं में अधिवक्ता पार्थ यादव, वेद पाल सिंह, संभल निवासी राकेश कुमार, जीतपाल यादव, मदनपाल और दीनानाथ शामिल हैं।

याचिका में क्या कहा गया है?
इस मामले पर अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि संभल में हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर जामा मस्जिद बना दी गई। जैन ने दावा किया कि इतिहास में ऐसा प्रमाण मिलता है कि 1529 में बाबर ने हरिहर मंदिर को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया था। इसका जिक्र बाबरनामा में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के समक्ष भी यही बात कही गई है ताकि हरिहर मंदिर का सच सामने आ सके।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन कहा, ‘ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार इसी जगह पर होगा। इसलिए यह स्थान पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। सिविल जज सीनियर डिवीजन के सामने दीवानी दावा किया गया है, जिससे हरिहर मंदिर का सच कोर्ट के सामने आ सके।

याचिकाकर्ताओं के विरोध में क्या कहा गया है?
शाही जामा मस्जिद की तरफ से एडवोकेट जफर अली ने कहा कि 19 नवंबर को जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर आए थे। उन्होंने मस्जिद का सर्वे किया। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की। दावा पूरी तरह बेबुनियाद है। चुनावी एजेंडा है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। 

वहीं, संभल से सपा के लोकसभा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि संभल की जामा मस्जिद ऐतिहासिक है। अचानक सर्वे से सभी अचंभित हैं। न्यायालय का आदेश था तो मस्जिद कमेटी और आम लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से सर्वे कराया है। बर्क ने दावा किया कि सर्वे के दौरान किसी तरह की कोई कमी नहीं मिली है। यह मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी। धर्मस्थलों को लेकर जो कानून है उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है। 

सर्वे में क्या-क्या हुआ?
वाद में परिसर के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने और सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराए जाने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने 19 नवंबर को को इस मामले की सुनवाई करते हुए अधिवक्ता रमेश सिंह राघव को सर्वे कमिश्नर नियुक्त किया। 19 नवंबर को ही स्थानीय पुलिस और मस्जिद की प्रबंधन समिति के सदस्यों की मौजूदगी में एक सर्वे किया गया था। पहले दिन के सर्वे के बाद कोर्ट कमिश्नर ने बताया था कि अभी प्राथमिक तौर पर सर्वे किया गया जिसमें पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। अभी मस्जिद की पैमाइश नहीं की गई है। सर्वे की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी। उसके बाद ही रिपोर्ट न्यायालय में पेश होगी। 

वहीं रविवार (24 नवंबर) को टीम सर्वे की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए दोबारा मस्जिद पहुंची। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सर्वे के बारे में एएनआई को बताया कि 19 नवंबर को पारित कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा रविवार सुबह 7:30 बजे से 10 बजे तक दूसरे दिन का सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान सभी विशेषताओं का अध्ययन किया गया। कोर्ट द्वारा निर्देशित वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का अनुपालन किया गया है और अब यह सर्वे पूरा हो गया है। 29 नवंबर को कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश की जाएगी।

सर्वे के दौरान हिंसा क्यों हुई?
शहर की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दाखिल वाद के आधार पर सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर की टीम पहुंची तो संभल में बवाल हो गया। रविवार सुबह अचानक टीम के आने पर जुटी भीड़ मस्जिद में दाखिल होने कोशिश करने लगी। रोकने पर पुलिस पर पथराव कर दिया। हिंसक हुई भीड़ ने सीओ की गाड़ी समेत कई वाहनों में तोड़फोड़ कर दी और आग लगा दी। इसी बीच फायरिंग भी शुरू हो गई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा। बवाल में घिरकर पांच लोगों की मौत हो गई। कई अधिकारियों समेत दर्जनों लोग घायल हुए हैं। तनाव को देखते हुए संभल में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।