ढाका : बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस याचिका में इस्कॉन को ‘कट्टरपंथी’ संगठन करार दिया गया है और आरोप लगाया गया है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है और सांप्रदायिक अशांति को बढ़ावा देता है। यह याचिका तब दायर की गई है, जब देश के हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरे चिन्मय कृष्ण दास कि गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चिन्मय को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अल ममुन रसेल की ओर से दायर की गई है, जिसमें 10 अन्य कानूनी पेशेवरों ने उनका समर्थन किया है। याचिका में मांग की गई है कि उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में शामिल थे। इस याचिका को बांग्लादेश के गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय और पुलिस महानिदेशक को भी भेजा गया है।
याचिका में इस्कॉन पर आरोप लगाया गया है कि यह बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठन के रूप में काम कर रहा है, जो सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देने में शामिल है। इसमें इस्कॉन पर आरोप लगाया गया है कि इसके समर्थकों ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हुए प्रदर्शनों में एक वकील की हत्या की, जो संगठन की ‘कानून और व्यवस्था के प्रति खुली अनदेखी’ का उदाहरण है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस्कॉन ने हिंदू समुदायों पर अपने धार्मिक विश्वास को थोपने के लिए जबरन सदस्यों की भर्ती की है और समुदाय के मंदिरों पर कब्जा किया है। इसके अलावा, इस्कॉन पर आरोप लगाया गया है कि उसने मस्जिदों पर हमले किए और 2016 में एक इस्कॉन मंदिर में हथियार पाए गए थे। साथ ही, गोपालगंज में इस्कॉन की शोभायात्रा के दौरान पुलिस वाहनों पर हमलें की घटनाएं भी सामने आई थीं।