नईदिल्ली : सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से उनकी संपत्ति के विवरण को सार्वजनिक करने के लिए कोई नया कानून लाने की योजना नहीं है, जैसा कि एक संसदीय समिति ने सिफारिश की थी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक लिखित जवाब में कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की संपत्ति का विवरण केंद्र सरकार के पास नहीं रखा जाता है। दरअसल, सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के जजों से उनकी उनकी संपत्ति का विवरण देने के लिए एक कानून लाने पर विचार कर रही है, जैसा कि अगस्त 2023 में संसद की स्थायी समिति की ‘न्यायिक प्रक्रियाएं और उनमें सुधार’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी। मंत्री ने इसका जवाब नहीं में दिया।
मेघवाल ने यह भी कहा कि ‘न्यायिक जीवन के मूल्य की पुनरावृत्ति’ नामक दस्तावेज को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने सात मई 1997 को अपनाया था। इस दस्तावेज ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए कुछ न्यायिक मानक तय किए थे। इसके अलावा, 26 अगस्त 2009 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने यह फैसला लिया था कि जजों द्वारा जमा की गई संपत्ति का विवरण सार्वजनिक किया जाएगा और इसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का प्रस्ताव रखा था। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 8 सितंबर 2009 को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि संपत्ति का विवरण 31 अक्तूबर 2009 तक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। इसे स्वैच्छित प्रक्रिया में रखा गया। यानी यह केवल एक विकल्प था, जिसमें जज अपनी संपत्ति का विवरण वेबसाइट पर डालने के लिए स्वतंत्र थे।