छत्तीसगढ़

अमित शाह ने राज्यसभा में ऐसा क्या कहा, जो गुस्से में लाल होकर मल्लिकार्जुन खरगे बोले- तुम कायर हो…

नईदिल्ली : राज्यसभा में मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोरम को लेकर बोल रहे थे, कि कैसे सदन में कम लोग आया करते थे, लेकिन इसके ठीक उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुस्से में आ गए और अमित शाह पर भड़क गए. खरगे ने अमित शाह को कायर कह दिया. उन्होंने अमित शाह को कहा कि ‘तुम तो कायर हो’. इसके बाद अमित शाह ने कहा कि खरगे साहब किया है तो हिम्मत के साथ सुनना पड़ेगा.

मल्लिकार्जुन खरगे के अमित शाह को कायर करने के बाद अमित शाह ने कहा, “खरगे जी मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं. मुझे बोलने दीजिए.’’ वह बोले, “मैं ये चारों संशोधन अपनी पार्टी के ऑफिस से नहीं ला सकता. ये चारो संशोधन संविधान में हुए, किसी को अदालत ने निरस्त किया, किसी को जनता पार्टी की सरकार ने निरस्त किया तो कुछ रह गए.

अमित शाह ने कहा कि चारों संशोधन वास्तविकता है. ये चार संशोधन बताते हैं कि कांग्रेस की संविधान संशोधन करने की मंशा क्या है… वो बताते हैं. पहला संशोधन ये है कि उन पर केस ने हो, दूसरे में वह चुनाव हारने वालों का समय बढ़ा दें, तीसरे में उनपर जांच नहीं हो सकती और चौथे में ये कहा गया है कि नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों को समाप्त करता है. ये संशोधन के उद्देश्य बताते हैं.

इसके बाद अमित शाह ने भाजपा के चार संशोधन बिल के बारे में भी बताया 

1-अमित शाह ने सबसे पहला जीएसटी का संशोधन गिनाया और कहा कि सौ बिक्री के कानूनों को समाप्त कर एक कानून लाने का काम नरेंद्र मोदी ने किया, जो लोगों की भलाई के लिए था.

2- इसके बाद अमित शाह ने 102वां संशोधन गिनाया, जो नेशनल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा देने के लिए किया. वह बोले, “अगर ये कांग्रेस की सरकार कर देती तो भाजपा को मौका नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि पिछड़ी जातियों का कल्याण पर कांग्रेस को कभी विश्वास नहीं था.”

3- अमित शाह ने 103वां संशोधन भी गिनाया, जो गरीब बच्चों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए किया गया, जिन बच्चों को आरक्षण नहीं मिल रहा था. शाह ने कहा कि कांग्रेस सालों तक गरीबी हटाओ का नारा देती रही, लेकिन कभी हटा नहीं पाई.

4- इसके बाद अमित शाह ने 105वें संशोधन के बारे में बताया, जो ओबीसी की पहचान देने के लिए किया गया. क्योंकि आजादी के बाद ऐसा करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास था.