प्रयागराज: धर्म अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में पूरी भव्यता के साथ 13 जनवरी से महाकुंभ मेला लगा हुआ है. लाखों श्रद्धालु और साधु-संतों की उपस्थिति है. इसके साथ ही कुंभ नगरी में 27 जनवरी से धर्म संसद भी आरंभ होने जा रही है, जिसमें सनातन बोर्ड के गठन को लेकर बड़ा ऐलान हो सकता है. वहीं एक शिविर ऐसा भी है जहां अभी से ही पूरी धर्म संसद सज गई है, जिसको नाम दिया गया है परम धर्म संसद.
इसकी व्यवस्था संसद भवन से कम नहीं है और यहां पर डबल स्टोरी का एक बड़ा हाल बनाया गया है, जिसमें परम धर्म संसद में आए साधु-संन्यासी बैठ सकेंगे. यह परम धर्म संसद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वर नन्द सरस्वती 1008 के शिविर में आयोजित हो रही है, जो 11 फरवरी तक चलेगी.
क्या बोले अविमुक्तेश्वर नन्द सरस्वती?
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वर नन्द सरस्वती 1008 ने इस पर अधिक जानकारी देते हुए बताया, “यह सिर्फ वह खेल नहीं है जो तीन घंटे दिखाया और फिर समेट कर चले गए. यह सम्मेलन है. संसद का मतलब है कि एक प्रक्रिया अपनाई जाए, बैठा जाए, बैठकर विधि विधान के साथ विचार किया जाए और फिर निर्णय लिया जाए. इसलिए हम लोग यहां पर धर्म संसद लगाए हुए हैं, विचार कर रहे हैं. यहां विद्वान लोग आते हैं, चर्चा होती है, चर्चा के बाद विचार होता है.”
धर्म संसद में किन मुद्दों पर चर्चा होगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म के जो भी मुद्दे हैं, हम उसके बारे में लोगों से पूछते रहते हैं. हम कहते हैं अपनी समस्याएं बताएं, हम विचार करके आपका मार्गदर्शन करेंगे. क्योंकि देश के बहुसंख्यक हिंदू हमसे पूछते रहते हैं कि हमारी यह समस्या है. छोटी-मोटी बात तो हम तुरंत बता देते हैं, लेकिन बड़ी बातों के लिए विचार करके, राय मशविरा करके, शास्त्र देखकर, प्रमाण देखकर बोलना पड़ता है. इसी के लिए यह संसद है. यहां पर विचार होता है. अलग-अलग विषयों पर और उसके आधार पर धर्मादेश जारी होता है.”
सनातन बोर्ड के गठन पर क्या बोले अविमुक्तेश्वर नन्द सरस्वती?
उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड के गठन के लिए हम लोगों ने सनातन धर्म संरक्षण परिषद गठित कर दिया है और वह अपना काम कर रही है. उल्लेखनीय है कि बीते दिनों अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने महाकुंभ में इस बोर्ड के गठन के स्वरूप को लेकर कहा था कि इस बोर्ड में देश के सभी मठों और छोटे-छोटे मंदिरों से जुड़े संतों और महंतों की राय शामिल की जाएगी. इसके बाद इस बोर्ड का गठन किया जाएगा. इसके बाद सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष चुना जाएगा. बोर्ड का मुख्य काम मठों और मंदिरों का बेहतर संचालन और सनातन धर्म का प्रसार होगा. इस बोर्ड से देश के सभी 13 अखाड़ों के संत जुड़ेंगे.