नई दिल्ली । अंतरिक्ष यात्रियों ने जब पिछली सदी में अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा तो इसकी खूबसूरती को देखकर इसे ‘ब्लू प्लानेट’ यानी नीला ग्रह नाम दिया। पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत समुद्रों से घिरा है। अधिकांश सतह जलीय होने के चलते अंतरिक्ष से इसका रंग नीला दिखाई देता है। सवाल उठता है कि पृथ्वी पर पानी कब, कहां से और कैसे आया? विज्ञानी इनके जवाब लंबे अर्से से तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में जापान और अन्य देशों के विज्ञानियों ने जापानी अंतरिक्ष मिशन हायाबुसा-2 द्वारा इकट्ठे किए गए चट्टानों और धूलकणों के दुर्लभ नमूनों का विश्लेषण करने के बाद पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति संबंधी सवालों से जुड़े कुछ सुराग मिलने का दावा किया है। पृथ्वी पर पानी की उत्पत्ति को लेकर अनेक विचार तथा परिकल्पनाएं प्रचलित हैं, जिन्हें मौटे तौर पर दो सिद्धांतों में बांटा जा सकता है। पहले सिद्धांत के मुताबिक पानी की उत्पत्ति पृथ्वी के जन्म के साथ हुई है। जबकि दूसरे सिद्धांत के मुताबिक पानी, पृथ्वी के बाहर से आया है। यानी पृथ्वी पर पानी का जन्म कैसे और कब हुआ, अभी भी अस्पष्ट है।
विज्ञानी इस बात पर एकमत हैं कि दूसरे ग्रहों की सतह पर पानी नहीं है और जब ये ग्रह बन रहे थे, तब मंगल के पृथ्वी से टकराने पर चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। अगर उस समय पृथ्वी पर पानी था, तो इस घटना के बाद पृथ्वी की सतह से पानी वाष्प बनकर उड़ गया होगा, यह निश्चित है। इस घटना के बाद पृथ्वी पर पानी कैसे आया इस बारे में दो मत हो सकते हैं। या तो हमारे ग्रह पर पानी बाहर से आया। मसलन पृथ्वी से कोई ऐसा क्षुद्रग्रह टकराया हो, जिसमें बर्फ या पानी की प्रचुरता हो और वह पृथ्वी पर आ गया हो।
चूंकि पानी पृथ्वी पर जीवन का आधार है इसलिए विज्ञानियों की इस बात में गहरी दिलचस्पी है कि यहां पानी आया कहां से। इसका जवाब ढूंढ़ने में सबसे बड़ी समस्या यह है कि पृथ्वी के निर्माण के सारे चिह्न उसके पूर्ण ग्रह बनने के बाद मिट चुके हैं। अध्ययन रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि पृथ्वी पर पानी सौरमंडल के बाहरी किनारों से एस्टेरोइड यानी क्षुद्रग्रहों के जरिये आया था।
जीवन और पानी की उत्पत्ति से जुड़े अनसुलझे सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 2020 में रयुगु एस्टेरोइड से पृथ्वी पर लाए गए दुर्लभ नमूनों का विश्लेषण किया। विश्लेषण के बाद शोधकर्ताओं की एक टीम ने जून में कहा था कि उन्हें मिले कार्बनिक पदार्थों से पता चलता है कि पृथ्वी पर जीवन निर्माण में शामिल रहे अमीनो अम्ल शायद अंतरिक्ष में ही बने होंगे। इससे महासागरों के सृजन की कहानी पता चल सकती है।