नईदिल्ली I अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा अपने मून मिशन ‘आर्टेमिस-1‘ की शनिवार को फिर से लॉन्चिंग करने जा रही है. इस रॉकेट को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होना है. इस लॉन्चिंग से पहले रॉकेट में एक बार फिर से फ्यूल लीक हुआ है. लिक्विड हाइड्रोजन में लीकेज के बाद आर्टेमिस-1 के लॉन्च में 30 मिनट की देरी होगी. भारतीय समय के अनुसार, अब इसकी लॉन्चिंग रात करीब 12:17 बजे होगी. इससे पहले 29 अगस्त को रॉकेट के 4 में से तीसरे इंजन में आई तकनीकी गड़बड़ी और खराब मौसम की वजह से इसकी लॉन्चिंंग को टाल दिया गया था.
बता दें कि नासा का आर्टेमिस-1 मिशन करीब आधी सदी के बाद मनुष्यों को चंद्रमा की यात्रा कराकर वापस लाने के एक महत्वपूर्ण कदम की ओर अग्रसर है. नासा की अतंरिक्ष प्रक्षेपण प्रणाली और ऑरियन क्रू कैप्सूल के लिए यह महत्वपूर्ण यात्रा होने वाली है. यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा तक जाएगा, कुछ छोटे उपग्रहों को कक्षा में छोड़ेगा और खुद को कक्षा में स्थापित हो जाएगा. नासा का उद्देश्य अंतरिक्ष यान के परिचालन की ट्रेनिंग प्राप्त करना और चंद्रमा के आसपास अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले हालात की जांच करना है.
नए तरह का रॉकेट है Artemis-1
यह नई तरह की रॉकेट प्रणाली है क्योंकि इसके मुख्य इंजन दोनों तरल ऑक्सीजन और हाइड्रोजन प्रणाली का सम्मिश्रण है, साथ ही अंतरिक्ष यान से प्रेरणा लेकर दो ठोस रॉकेट बूस्टर भी लगे हैं. यह वास्तव में अंतरिक्ष यान (स्पेस शटल) और अपोलों के सैटर्न पंचम रॉकेट को मिलाकर तैयार हाइब्रिड स्वरूप है. यह लॉन्चिंग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऑरियन क्रून कैप्सूल का वास्तविक कार्य देखने को मिलेगा. यह लॉन्चिंग चंद्रमा के अंतरिक्ष वातावरण में करीब एक महीने होगा.
चांद पर इंसान बसाने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है मिशन
यह अंतरिक्ष यान 322 फुट या 98 मीटर लंबा है, जो नासा द्वारा बनाया गया अब तक का सबसे ताकतवर रॉकेट है और सैटर्न-5 से भी शक्तिशाली है, जो अपोलो कार्यक्रम के अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा तक लेकर गया था. इस चंद्र रॉकेट का नाम अमेरिकी पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन आर्टेमिस के नाम पर रखा गया है. इस मिशन के साथ वैज्ञानिकों यह जानना चाहते हैं कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद के आसपास हालात सही हैं या नहीं.