छत्तीसगढ़

पत्नी की देखभाल करना कानूनी तौर पर पति की जिम्मेदारी, HC ने खारिज की याचिका

नईदिल्ली I पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद पर फैसला देते हुए कहा कि पत्नी को उसी लिविंग स्टैंडर्ड के साथ रहने का पूरा अधिकार है, जिस लिविंग स्टैंडर्ड के साथ वो अपने पति के साथ रह रही थी. दरअसल, एक याचिकाकर्ता पति ने हाईकोर्ट से फैमिली कोर्ट के उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उसे पत्नी को हर महीने 3000 रुपये का गुजारा भत्ता देने को कहा गया था. याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से कहा कि फैमिली कोर्ट का यह फैसला सही नहीं है. हालांकि न्यायमूर्ति राजेश भारद्वाज की बेंच ने याचिकाकर्ता पति की इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि पत्नी उसी लिविंग स्टैंडर्ड की हकदार है, जिसे वह पति के साथ रहते हुए जी रही थी.

याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट से कहा कि दोनों पक्षों (पति-पत्नी) के बीच रिश्ते में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. याचिकाकर्ता पति ने न तो कभी पत्नी की उपेक्षा की और न ही उसे कभी साथ रखने से इनकार किया. ऐसे में पति किसी भी मासिक गुजारे भत्ते को पत्नी को देने के लिए उत्तरदायी नहीं है. हाईकोर्ट के सामने यह भी तर्क दिया गया कि पत्नी ने बिना किसी कारण याचिकाकर्ता (पति) को छोड़ दिया. ऐसे में फैमिली कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला कि हर महीने पत्नी को 3000 रुपये गुजारे भत्ते के तौर पर देने है, कानून की नजर में अस्थिर है और इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए.

महिला को प्रताड़ित करता था पति

न्यायमूर्ति राजेश भारद्वाज ने सुनवाई के बाद कहा कि याचिकाकर्ता (पति) और प्रतिवादी (पत्नी) ने साल 2017 में शादी की थी. आरोपों के मुताबिक, पति और उसका परिवार महिला के साथ बुरा बर्ताव करता था और मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था. क्योंकि महिला अपने मायके से कम दहेज लेकर आई थी. महिला का पति और ससुराल वाले उसे अपने मायके से 50,000 रुपये की रकम लाने के लिए भी मजबूर करते थे, ताकि उनके ब्यूटी पार्लर के व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके.

उन्होंने कहा कि 17 जुलाई 2018 को याचिकाकर्ता पति और उसके परिवार ने महिला की पिटाई की और उसे घर से बाहर कर दिया. अदालत ने पाया कि पति सभी काम करने में शारीरिक रूप से सक्षम है. रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि पत्नी ने अपने पति को छोड़ा है. कानून के मुताबिक, पत्नी की देखभाल करना पति की कानूनी रूप से जिम्मेदारी बनती है.