छत्तीसगढ़

जमानत मिली तो सीतलवाड़ ने छेड़ा जुबैर का केस, कहा- कानून को ईमानदारी से लागू करने की जरूरत

नईदिल्ली I सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा है कि उनसे छह दिनों में केवल एक बार पूछताछ की गई थी. सीतलवाड़ को जून में 2002 के दंगों के बाद गुजरात सरकार को अस्थिर करने की साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत देने के बाद 60 वर्षीय तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार को यह कहते हुए जेल से रिहा कर दिया गया कि पुलिस को उससे पूछताछ के लिए पहले ही पर्याप्त समय मिल गया है. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में अदालत की कोई गलती नहीं है.

जेल से छूटने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में बात करते हुए सीतलवाड़ ने कहा कि उन्हें 25 जून को गिरफ्तार होने से पहले ‘उचित प्रक्रिया’ और कुछ नोटिस की उम्मीद थी, न कि इस तरह की कार्रवाई की. सीतलवाड़ सात दिनों तक पुलिस हिरासत में रहीं. उन्होंने पुलिस हिरासत को अजीब बताया. सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, ‘रविवार की शाम लेकर अगले शनिवार तक, जब मुझे न्यायिक हिरासत में भेजा गया, मुझे एक बार के अलावा पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया. बाकी समय मैं बैठी रही. कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.’

कानूनों को पुलिस द्वारा कुछ हद तक ईमानदारी से लागू करना चाहिए- सीतलवाड़

उन्होंने एक ट्वीट पर फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘इस देश में हमारे पास कानूनों का एक सेट है. उन कानूनों को पुलिस द्वारा कुछ हद तक ईमानदारी, निष्पक्षता और स्वायत्तता के साथ लागू करने की आवश्यकता है. पुलिस को कार्यपालिका का हाथ नहीं बनना चाहिए. देखिए जुबैर के साथ क्या हुआ.’ बता दें कि सीतलवाड़ साबरमती जेल में थीं जहां महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी को भारत की आजादी से पहले कैद किया गया था.

जेल में जीवन कभी आसान नहीं होता

उन्होंने कहा कि 2002 के गुजरात दंगाइयों को अदालत में ले जाने में उसकी भूमिका के कारण उन्हें जेल में दुश्मनी की उम्मीद थी. उन्होंने कहा, ‘मैं सुरक्षा के बारे में चिंतित थी. मुझे एहसास हुआ कि मेरी सुरक्षा एक सामान्य महिला अंडरट्रायल के रूप में रहेगी. मैं महिलाओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, युवा महिलाओं के साथ महिला बैरक 6 में थी.’ उन्होंने बताया कि जेल में जीवन कभी आसान नहीं होता है. बता दें कि सीतलवाड़ को अहमदाबाद की एक लोकल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद वह गुजरात हाई कोर्ट गईं. अदालत द्वारा उनकी और दंगा पीड़ित जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज करने के दो दिन बाद कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया था.