छत्तीसगढ़

क्या क्वीन एलिजाबेथ पैगम्बर की वंशज थीं और क्या है उनका मुस्लिम धर्म से कनेक्शन?

नईदिल्ली I क्या ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ मुस्लिम थीं? 70 साल तक ब्रिटेन में राज करने वाली महारानी पर एक नई बहस शुरू हो गई है. इस बहस की वजह है वो लेटर जिसमें इस बात का जिक्र किया गया. जिस लेटर में यह जानकारी दी गई है उसका कनेक्शन जॉन बर्क नाम के पब्लिकेशन से है. जॉन ने 1826 में ब्रिटेन के शाही परिवार और कुलीन वर्ग की वंशावली को प्रकाशित करने का काम शुरू किया.

वंशावली तैयार करने के लिए जॉन ने पुरखों के इतिहास की पर्त दर पर्त खोल कर रख दीं. शुरुआती दौर में वंशावलियों को दिलचस्प कहानियों का संग्रह बताया गया, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की इनमें दिलचस्पी बढ़ने लगी. जॉन का पब्लिकेशन सबसे ज्यादा चर्चा में एक लेटर के कारण रहा. एक दिन जॉन के पब्लिकेशन की डायरेक्टर को लेटर मिला. लेटर में लिखा था कि ब्रिटेन के बहुत कम लोगों को पता है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की नसों में पैगम्बर मोहम्मद का खून दौड़ रहा है.

क्या-कुछ लिखा था उस लेटर में?

उस लेटर की शुरुआत में कहा गया था कि आतंकियों से खुद से सुरक्षित रखने के लिए शाही परिवार के पैगंबर मुहम्मद के वंशज होने के दावे पर भरोसा नहीं किया जा सकता, हालांकि, सभी मुस्लिम धार्मिक नेताओं को इस पर गर्व है. 2018 में मोरक्को के एक अखबार में छपी रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि महारानी का पैगम्बर से कनेक्शन रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि महारानी एलिजाबेथ पैगम्बर की बेटी फातिमा की 43वीं पीढ़ीं से ताल्लुक रखती हैं. यानी उनकी वंशज हैं.

महारानी का पैगम्बर के वंश से क्या है कनेक्शन, अब इसे समझ लीजिए

दरअसल मामले का कनेक्शन जायदा नाम की महिला को बताया गया. इसकी पूरी कहानी शुरू होती है स्पेन के शहर सेविले से. एक दौर ऐसा था जब यहां अब्बासी वंश के शासन की शुरुआत हुई. इस वंश के तीसरे राजा थे मोहम्मद इब्न अब्बास. 1069 से लेकर 1091 तक इनका शासन चला. इन्हें पैगम्बर मोहम्मद की बेटी फातिमा का वंशज बताया गया.मोहम्मद इब्न अब्बास की एक बेटी थी नाम था ज़ायदा.

एक ऐसा दौर भी आया जब अब्बासी साम्राज्य पर मोरक्को के अल्मोराविदो शासकों आक्रमण किया. हालात इतने बिगड़ गए कि ज़ायदा को अपनी जान बचाने के लिए देश छोड़ना पड़ा. वह अल्फांसो षष्ठम के पास शरण लेने पहुंचीं. लियोन, कैसिले और गेलिसिया की सत्ता के शासक अल्फांसो षष्ठम ने ज़ायदा को अपना लिया. इसके लिए ज़ायदा को अपना धर्म बदलकर ईसाई बनना पड़ा.

इतिहासकार और बिशप पेलागियस ओविदो का कहना है कि ज़ायदा अल्फांसो षष्ठम की उप-पत्नी बन गई थीं. दोनों की एक संतान हुई जिसका नाम रखा गया सांचो. सांचो के ही वंशज का इंग्लैंड के राजा एडवर्ड तृतीय के परिवार में विवाह हुआ और उसी वंश से ही एलिजाबेथ पैदा हुईं. इन तरह महारानी के वंश का कनेक्शन अब्बासी वंश से जोड़ा गया.

ज़ायदा से जुड़ी एक कहानी यह भी है

इतिहास में ज़ायदा से जुड़ी एक कहानी और भी बताई गई है. मुस्लिम इतिहासकारों के मुताबिक, वह अब्बासी वंश की बहू थीं. जिनकी शादी अल मोहम्मद इब्न अब्बास के बेटे अबु अल फतह से की गई थी. अल्मोराविदो के हमले में पति की मौत वो शरण लेने अल्फांसो के पास पहुंची थीं.

क्या हुआ जब दुनिया में यह बात फैली?

इतिहासकार डेविड स्टारकी के अनुसार, ज़ायदा की मौजूदगी में स्पेन के शाही परिवार और इस्लामिक हुकूमत के बीच काफी घनिष्ट सम्बंध रहे हैं. महारानी एलिजाबेथ और पैगम्बर मोहम्मद के वंश के कनेक्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

जब मोरक्को के अखबार में यह खबर पब्लिश हुई तो हंगामा मच गया. कुछ लोगों को खुशी हुई और कुछ ने आश्चर्य जताया. खुशी जाहिर करने वाले लोगों का कहना था, ब्रिटेन के शाही परिवार में मुस्लिमों का रक्त है. वहीं, नाराजगी जताने वालों लोगों ने कहा कि मुस्लिम समाज अब इन खबरों के जरिए ब्रिटेन में पैठ बनाना चाहता है.