नईदिल्ली I ओडिशा के 30 जिलों में पेपरलेस कोर्ट की शुरूआत की गई है. इस अवसर पर सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि टेक्नोलॉजी प्रगति के कई फायदें देता है और अब देश में कोई दूर-दराज पर बैठा एक आम आदमी भी न्याय पा सकता है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह और ओडिशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर की मौजूदगी में इस पेपरलेस अदालतों की शुरूआत की गई.
इस अवसर पर न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में डिजिटल विभाजन को स्वीकार करना और इस विभाजन को खत्म करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने न्यायिक व्यवस्था में कई बदलाव लाने की जरूरत पैदा की, जिसके चलते डिजिटल माध्यम से सुनवाई का संचालन किया गया और ई-फाइलिंग की व्यवस्था लाई गई.
कोरोना ने सिखाया बदलाव करना- सीजेआई
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ललित ने कहा, कोविड-19 महामारी ने हमें परिस्थिति के अनुरूप ढलने, बदलाव करने और खुद को आधुनिक बनाना सिखाया. यह हमारे लिए टेक्नोलॉजी के हमारी जीवनशैली में उतारने के लिए है.सीजेआई ने कहा कि वह एक ऐसे माहौल में पले-बढ़े, जहां संदर्भ के लिए लाइब्रेरी जाने और किताबों के पन्ने पलटने की संस्कृति थी. उन्होंने कहा कि वह टेक्नोलॉजी के संदर्भ में खुद को अब तक एक नर्सरी स्कूल का छात्र मानते हैं.
टेक्नोलॉजी सिर्फ एलिट क्लास के लिए नहीं- जस्टिस चंद्रचूड़
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि टेक्नोलॉजी सिर्फ एलिट क्लास के लिए नहीं है बल्कि यह उन सभी के लिए है जिन्हें न्याय की जरूरत है. उन्होंने कहा, पेपरलेस अदालतें वकीलों का बेशकीमती समय भी बचाएंगी. उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाया गया है कि भारतीय न्याय प्रणाली एक वर्ष में लाखों की संख्या में कागज के पन्नों का इस्तेमाल करती है. उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, पेपरलेस अदालतों का सिर्फ यह नुकसान है कि युवा वकील मोटी किताबें पढ़ने से वंचित हो जाएंगे.
पेपरलेस अदालतें शुरू होने के बाद हम ओडिशा में जिम की मेम्बरशिप बढ़ते हुए देख सकते हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतों को हर स्तर पर डिजिटल ढांचा बनाना चाहिए, जो आम आदमी के इस्तेमाल के योग्य हो.
पारदर्शिता बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि अदालतों का डिजिटाइजेशन किये जाने से न सिर्फ न्याय प्रदान करने की प्रणाली को दुरूस्त करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह इसे खुला, पारदर्शी, पहुंच योग्य भी बनाएगा. उन्होंने कहा कि पेपरलेस अदालतों के लिए पहल किया जाना यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक कदम है कि देश की न्याय प्रणाली फिजिकली डिसेबल्ड न्यायाधीशों और वकीलों के लिए अधिक सुगम्य है.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद, उनके चैम्बर ने लगभग पूरी तरह से पेपरलेस कामकाज किया. न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि लागत के संदर्भ में पेपरलेस कम्युनिकेशन का कोई जोड़ा नहीं है. यह खर्च घटाता है और सभी हितधारकों से अदालतों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की अपील करता है.