नईदिल्ली I पृथ्वी के करीब से रविवार को एक विशाल एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) गुजरेगा। यह ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ से भी लगभग 210 मीटर बड़ा है। नासा की प्रयोगशाला (जेपीएल) के अनुसार, ‘2005 आरएक्स3’ नामक एस्टेरॉयड 62,820 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमारे ग्रह की ओर बढ़ रहा है। स्पेस एजेंसी के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड करीब 17 साल (2005 में) पहले पृथ्वी के करीब से गुजरा था। तब से लेकर अब तक नासा की जेट प्रोपल्जन लैबोरेटरी इस पर नजर बनाए हुए है।
नासा के मुताबिक, ‘आरएक्स3’ अगली बार मार्च 2036 में धरती के पास से गुजरेगा। नासा ने 10 सितंबर को चेतावनी जारी कर बताया था कि इस महीने एक सप्ताह में चार एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब आएंगे। इनमें से एक ‘2005 आरएक्स3’ है।
गुजर चुके हैं दो एस्टेरॉयड
- 2022 क्यूएफ : इसकी खोज अगस्त 2022 में हुई थी। यह 140 फुट चौड़ा एस्ट्रॉयड है, जो 11 सितंबर को धरती के सबसे नजदीक था। यह 30,384 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के 73 लाख किलोमीटर करीब आया था।
- 2008 आरडब्ल्यू : इसे 2008 में खोजा गया था। यह 12 सितंबर को 36,756 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के 67 लाख किलोमीटर करीब आया था। यह लगभग 310 फुट बड़ा था।
- 2020 पीटी4: 39,024 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी के 71,89,673 किलोमीटर के करीब आएगा
- 2022 क्यूडी1: 242 फुट बड़े इस एस्ट्रॉयड को अगस्त 2022 में खोजा गया था। नासा के अनुसार, यह 16 सितंबर को 34,200 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से धरती के 74 लाख किलोमीटर करीब आ जाएगा।
- 2022 क्यूबी37 : 18 सितंबर को 2005 आरएक्स3 के साथ-साथ यह एस्टेरॉयड भी हमारे ग्रह के करीब से गुजरेगा। इसकी रफ्तार 33,192 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और पृथ्वी के 65 लाख किलोमीटर पास आ जाएगा।
एस्टेरॉयड से टकराने के लिए तैयार है नासा
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा इस महीने के अंत में अपना डार्ट (डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट) मिशन लॉन्च करने वाली है। इसके तहस नासा एस्टेरॉयड को टक्कर मारकर नष्ट करने की तैयारी कर रहा है। नासा का अंतरिक्ष यान 26 दिसंबर को करीब 7:14 बजे इस मिशन को लॉन्च करने वाला है। भारतीय समयानुसार यह 27 सितंबर की सुबह 4.44 बजे लॉन्च होगा। इस मिशन के तहत हमारे पृथ्वी को खतरा पैदा करने वाले किसी भी एस्टेरॉयड की दिशा को बदला जा सकेगा या उसे नष्ट किया जा सकेगा। इस अंतरिक्ष यान का इस्तेमाल करके एस्टेरॉयड की दिशा मोडने वाली इस प्रक्रिया को ‘कायनेटिक इंपेक्ट मेथड’ कहा जा रहा है।