छत्तीसगढ़

…मैं भजन गाता हूं तो इसमें गलत क्या, महबूबा मुफ्ती के बयान पर भड़के फारूक अब्दुल्ला

जम्मू I जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश की एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की भजन वाली टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए उन पर निशाना साधा है. महबूबा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू करने के लिए कश्मीर की सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म कर रही है, इस पर अब्दुल्ला ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत एक सेकुलर देश है. अगर मैं भजन गाता हूं तो इसमें गलत बात क्या है.

पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती की ओर से स्कूलों में भजन गाने के आदेश को लेकर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी सरकार की खिंचाई करने को लेकर नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “हम द्वि-राष्ट्र सिद्धांत में विश्वास नहीं करते थे. भारत सांप्रदायिक नहीं है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. मैं भजन का जाप करता हूं. अगर मैं भजन कर रहा हूं, तो क्या यह गलत है?”

… अगर हिंदू अजमेर दरगाह जाए तो क्या

उन्होंने कहा, “अगर कोई हिंदू अजमेर दरगाह जाता है, तो क्या वह मुसलमान में तब्दील हो जाएगा?”

इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नीत केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वह अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू करने के लिए कश्मीर की सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती सोमवार को जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड द्वारा जारी एक आदेश पर प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें सभी दस्तारबंदी (किसी प्रभावशाली व्यक्ति के सम्मान के रूप में सिर पर साफा बांधना) समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

धार्मिक परंपराओं को खत्म कर रही बीजेपी सरकारः मुफ्ती

मुफ्ती ने अपने एक ट्वीट में कहा, “पाखंड की कोई सीमा नहीं है क्योंकि बीजेपी खुद मंदिर, दरगाह या गुरुद्वारे में पगड़ी बांधने का कोई मौका नहीं छोड़ती है. वे अपने विभाजनकारी एजेंडे को लागू कर हमारे सभी धार्मिक और सूफी परंपराओं को खत्म करने तक नहीं रूकेंगे.”

सरकारी आदेश में यह कहा गया है कि नेताओं के लिए उनकी राजनीतिक संबद्धता के अनुसार दस्तारबंदी की जा रही थी. आदेश में कहा गया है कि दस्तारबंदी केवल धार्मिक क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों को सम्मानित करने के लिए की जानी चाहिए.

पीडीपी नेता ने कहा, “जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों को कुचलना, धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार करना, सज्जादनशीन को उनके पारंपरिक कर्तव्यों का पालन करने से रोकना और अब दस्तारबंदी पर प्रतिबंध लगाना, इसके उदाहरण हैं.”

इसी तरह धार्मिक और शैक्षणिक संगठनों के समूह मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) ने भी कश्मीर के स्कूलों में हिंदू भजनों को कथित रूप से लागू किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. एमएमयू ने कहा, “हम कश्मीर के स्कूलों में हिंदू भजन के गायन को लागू करने का कड़ा विरोध करते हैं, जैसा कि सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि नागम कुलगाम के एक सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में सुबह की प्रार्थना के दौरान बच्चे हिंदू भजन गा रहे हैं.”