नईदिल्ली I कहते हैं राजनीति में सबकी अपनी अपनी महत्वाकांक्षा होती हैं. यहां बगैर महत्वाकांक्षा के कोई नहीं है. बिहार की सियासत को ही देख लीजिए, बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पिछले 17 सालों से काबीज नीतीश कुमार के अंदर प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा एक बार फिर क्या जगी, उन्होंने बिहार की सियासत ही बदल दी. बीजेपी को छोड़ तेजस्वी के बगलगीर बन गए, तो अब तेजस्वी की नजर भी नीतीश की कुर्सी पर ही है. अब तो मुखर होकर नीतीश के नए सहयोगी आरजेडी के नेता भी नीतीश कुमार से कहने लगे हैं. ‘कुर्सी खाली करो तेजस्वी आ गए हैं’.
दरअसल, आरजेडी प्रदेश कार्यालय में बुधवार को पार्टी के राज्य परिषद की बैठक थी. सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद मौजूद थे. तेजस्वी यादव भी थे और वहां मौजूद थे. बाबा यानी शिवानंद तिवारी ने सार्वजनिक मंच से यह कहकर खूब तालियां बटोरीं कि साल 2025 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी तेजस्वी को सौंपकर संन्यास ले लेना चाहिए. आश्रम खोल लेना चाहिए और उस आश्रम में लोगों को प्रशिक्षण देना चाहिए. यदि वह ऐसा करते हैं, तो वह भी उनके साथ आश्रम चलेंगे. अब नीतीश कुमार को बाबा बनने की सलाह पर जदयू हत्थे से उखड़ गई है. जदयू नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार तो अपने आप में एक विश्वविद्यालय हैं. तो, दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा है, जो कह रहे हैं कि बाबा शिवानंद को कोई और आश्रम तलाश लेनी चाहिए.
तेजस्वी को बढ़ाना है आगे- नीतीश
हालांकि, 24 घंटे पहले ही नीतीश कुमार से जब प्रधानमंत्री बनने और उत्तर प्रदेश के फूलपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. उन्होंने तेजस्वी यादव की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब तो वह इनको आगे बढ़ाना चाहते हैं.
CM की कुर्सी पर तेजस्वी की नजर!
नीतीश कुमार के अंदर साल 2013 में भी जब प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा जगी, तो उन्होंने सबसे पहले बीजेपी से सत्ता छीनी और उनकी खुद की कुर्सी भी चली गई. मांझी के पास. अब एक बार फिर से नीतीश कुमार के अंदर 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षा जगी है, तो इस बार उनकी कुर्सी पर नजर तेजस्वी यादव की लगी है.