नईदिल्ली I नोट बंदी की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ कल याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. मामला 16 दिसंबर 2016 को संविधान पीठ को भेजा गया था, लेकिन पीठ का गठन होना बाकी था. विवेक नारायण शर्मा ने याचिका दाखिल कर सरकार के इस कदम को चुनौती दी थी. इस याचिका के बाद 57 और याचिकाएं दाखिल की गई थीं. संविधान पीठ इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी.
8 नवंबर, 2016 को अचानक राष्ट्र के नाम संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि मध्यरात्रि से, मौजूदा ₹ 500 और ₹ 1,000 के नोट अब किसी भी लेनदेन के लिए उपयोग नहीं किए जा सकते हैं. इस फैसले के बाज सरकार को कई लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था. विपक्षी दलों ने भी इस कदम की निंदा करते हुए कहा था इसे लापरवाही भरा कदम बताया था और कहा था कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद हो गई.
पीएम मोदी के फैसले के बाद बैंकों के आगे लग गई थी लंबी लाइन
पीएम की नोटबंदी की घोषणा के बाद कुछ ही घंटों में चलन में मौजूद 86 फीसदी कैश खत्म हो गया. करेंसी की कमी के कारण बैंकों में लंबी लाइन लग गई. लोग पुराने नोटों को वापस करने के लिए या उन्हें नए ₹ 500 और ₹ 2,000 के नोटों के लिए बदलने के लिए कतार में खड़े थे. प्रधान मंत्री ने कहा था कि विमुद्रीकरण एक ऐसा अवसर है जहां हर नागरिक भ्रष्टाचार, काले धन और नकली नोटों के खिलाफ “महायज्ञ” में शामिल हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में एक नई संविधान पीठ का गठन किया है. यही पीठ नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. यह पीठ का पहला मामला होगा. जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली इस पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं. इस हफ्ते में ये चौथी संविधान पीठ है.